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World Bank: प्रतिकूल हालात के बीच विश्व बैंक ने पहली बार बढ़ाई भारत की विकास दर
बिजनेस डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: संजीव कुमार झा
Updated Tue, 06 Dec 2022 01:17 PM IST
सार
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बिगड़ते बाहरी वातावरण के बीच वित्त वर्ष 22-23 में वास्तविक सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि में गिरावट की उम्मीद है।
अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष और अन्य रेटिंग एजंेसियों ने जहां 2022-23 के लिए भारतीय अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर में कटौती की है, वहीं विश्व बैंक ने विकास दर अनुमान को 6.5 फीसदी से बढ़ाकर 6.9% कर दिया है। वैश्विक उथल-पुथल के बीच पहली बार किसी अंतरराष्ट्रीय एजेंसी ने भारत का विकास दर अनुमान बढ़ाया है। विश्व बैंक ने इससे पहले अक्तूबर में चालू वित्त वर्ष के लिए आर्थिक वृद्धि दर अनुमान को 7.5 फीसदी से एक फीसदी घटाकर 6.5% कर दिया था। अब उसने फिर 0.4 फीसदी की वृद्धि की है।
विश्व बैंक ने मंगलवार को जारी रिपोर्ट में कहा, प्रतिकूल वैश्विक हालातों के बीच भारतीय जीडीपी जुझारू बनी हुई है। दूसरी तिमाही यानी जुलाई-सितंबर के जीडीपी के आंकड़े उम्मीद से बेहतर रहे हैं। इसलिए पूरे वित्त वर्ष के लिए विकास दर अनुमान को बढ़ाया जा रहा है। 2021-22 में वृद्धि दर 8.7% रही थी। हालांकि, 2022-23 की दूसरी तिमाही में यह 6.3% और पहली तिमाही में 13.5 फीसदी रही थी।
चुनौतियों के बावजूद सबसे तेज वृद्धि
रिपोर्ट में कहा गया है कि केंद्रीय बैंकों के मौद्रिक नीति को सख्त करने, वैश्विक विकास दर में सुस्ती और कमोडिटी की कीमतों में वृद्धि जैसे बिगड़ती वैश्विक परिस्थितियों का भारत की विकास संभावनाओं पर असर पड़ेगा। अमेरिका, यूरो क्षेत्र और चीन के घटनाक्रमों का भी प्रभाव दिख रहा है।
चुनौतियों के बावजूद घरेलू मांग में तेजी के दम पर भारत सबसे तेज गति से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था बना रहेगा।
भारत पहले से अधिक क्षमतावान
विश्व बैंक के वरिष्ठ अर्थशास्त्री ध्रुव शर्मा ने कहा, भारत 10 साल पहले से अधिक क्षमतावान है। सुधार और विवेकपूर्ण नीतियों के दम पर वह वैश्विक एवं घरेलू चुनौतियों से निपटते हुए लगातार मजबूत हो रहा है। इस साल रुपया सिर्फ 10% टूटा है। अन्य उभरते बाजारों से भारत का प्रदर्शन अच्छा रहा है।
भारत बहुत महत्वाकांक्षी है। सरकार ने अर्थव्यवस्था को लचीला बनाने के लिए कई कदम उठाए हैं। अब इसे गतिशील बनाने के लिए काफी प्रयास कर रही है। -अगस्ते तानो काउमे, कंट्री निदेशक (भारत), विश्व बैंक
महंगाई : 7.1 फीसदी रहने का अनुमान
विश्व बैंक ने कहा कि चालू वित्त वर्ष में खुदरा महंगाई 7.1 फीसदी रह सकती है। 2023-24 के दौरान यह घटकर 5.2 फीसदी रह सकती है। क्रूड की उच्च कीमतों के प्रभाव को कम करने के लिए आरबीआई के उत्पाद शुल्क व अन्य करों में कटौती के प्रयासों को राजकोषीय नीति से समर्थन मिला है।
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उर्वरक एवं खाद्य सब्सिडी पर सरकार का खर्च बढ़ा है। पेट्रोलियम उत्पादों पर उत्पाद शुल्क में कटौती की गई है। इसके बावजूद राजस्व संग्रह में तीव्र वृद्धि से सरकार चालू वित्त वर्ष में 6.4 फीसदी के राजकोषीय घाटे के लक्ष्य को हासिल कर लेगी।
फिच ने 7% पर बरकरार रखा अनुमान
फिच रेटिंग्स ने चालू वित्त वर्ष के लिए भारत की आर्थिक वृद्धि दर अनुमान को 7 फीसदी पर बरकरार रखा है। भारत इस साल उभरते बाजारों में सबसे तीव्र आर्थिक वृद्धि हासिल वाला देश हो सकता है। हालांकि, 2023-24 में वृद्धि दर धीमी पड़कर 6.2 फीसदी और 2024-25 में 6.9 फीसदी रह सकती है।
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