कोरोना महामारी के कारण पूरी दुनिया कर्ज की मार झेल रही है। इसके चलते वैश्विक ऋण में भारी बढ़ोतरी दर्ज की गई है। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने बुधवार को कहा कि वैश्विक ऋण 226 ट्रिलियन अमरीकी डॉलर के उच्च स्तर पर पहुंच गया है। साल 2021 में भारत का कर्ज बढ़कर 90.6 फीसदी होने का अनुमान है। वैश्विक ऋण की भरपाई के लिए चीन ने 90 फीसदी का योगदान दिया है जबकि शेष उभरती अर्थव्यवस्थाओं और कम आय वाले विकासशील देशों ने लगभग सात प्रतिशत का योगदान दिया। आईएमएफ के मुताबिक, सरकारों और गैर-वित्तीय निगमों का कर्ज 2020 में 26 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुंच गया, जो 2019 से 27 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर अधिक है। यह अबतक की सबसे बड़ी वृद्धि है। इस आंकड़े में सार्वजनिक और गैर-वित्तीय निजी क्षेत्र दोनों के ऋण शामिल हैं।
भारत का कर्ज 2021 में 90.6 प्रतिशत होने का अनुमान
आईएमएफ ने अपनी 2021 की वित्तीय निगरानी रिपोर्ट में कहा कि भारत का कर्ज 2016 में उसके सकल घरेलू उत्पाद के 68.9 प्रतिशत से बढ़कर 2020 में 89.6 प्रतिशत हो गया है। इसके 2021 में 90.6 प्रतिशत और फिर 2022 में घटकर 88.8 प्रतिशत होने का अनुमान है। वहीं, 2026 में धीरे-धीरे 85.2 प्रतिशत तक पहुंचने का अनुमान है।
राजकोषीय दृष्टिकोण के लिए जोखिम
आईएमएफ ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि राजकोषीय दृष्टिकोण के लिए जोखिम बढ़ गया है। टीके के उत्पादन और वितरण में वृद्धि, विशेष रूप से उभरते बाजारों और कम आय वाले विकासशील देशों के लिए वैश्विक अर्थव्यवस्था में इस तरह की दिक्कतें नुकसानदायक है।
सार्वजनिक बजट पर भी दबाव
दूसरी तरफ, वायरस के नए रूप, कई देशों में कम टीका कवरेज और कुछ लोगों की टीकाकरण की स्वीकृति में देरी से नए प्रकार के समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है और सार्वजनिक बजट पर भी दबाव बढ़ सकता है। इसमें कहा गया है कि ऋण और गारंटी कार्यक्रमों सहित आकस्मिक देनदारियों की वसूली से भी सरकारी कर्ज में अप्रत्याशित वृद्धि हो सकती है।
विस्तार
कोरोना महामारी के कारण पूरी दुनिया कर्ज की मार झेल रही है। इसके चलते वैश्विक ऋण में भारी बढ़ोतरी दर्ज की गई है। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने बुधवार को कहा कि वैश्विक ऋण 226 ट्रिलियन अमरीकी डॉलर के उच्च स्तर पर पहुंच गया है। साल 2021 में भारत का कर्ज बढ़कर 90.6 फीसदी होने का अनुमान है। वैश्विक ऋण की भरपाई के लिए चीन ने 90 फीसदी का योगदान दिया है जबकि शेष उभरती अर्थव्यवस्थाओं और कम आय वाले विकासशील देशों ने लगभग सात प्रतिशत का योगदान दिया। आईएमएफ के मुताबिक, सरकारों और गैर-वित्तीय निगमों का कर्ज 2020 में 26 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुंच गया, जो 2019 से 27 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर अधिक है। यह अबतक की सबसे बड़ी वृद्धि है। इस आंकड़े में सार्वजनिक और गैर-वित्तीय निजी क्षेत्र दोनों के ऋण शामिल हैं।
भारत का कर्ज 2021 में 90.6 प्रतिशत होने का अनुमान
आईएमएफ ने अपनी 2021 की वित्तीय निगरानी रिपोर्ट में कहा कि भारत का कर्ज 2016 में उसके सकल घरेलू उत्पाद के 68.9 प्रतिशत से बढ़कर 2020 में 89.6 प्रतिशत हो गया है। इसके 2021 में 90.6 प्रतिशत और फिर 2022 में घटकर 88.8 प्रतिशत होने का अनुमान है। वहीं, 2026 में धीरे-धीरे 85.2 प्रतिशत तक पहुंचने का अनुमान है।
राजकोषीय दृष्टिकोण के लिए जोखिम
आईएमएफ ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि राजकोषीय दृष्टिकोण के लिए जोखिम बढ़ गया है। टीके के उत्पादन और वितरण में वृद्धि, विशेष रूप से उभरते बाजारों और कम आय वाले विकासशील देशों के लिए वैश्विक अर्थव्यवस्था में इस तरह की दिक्कतें नुकसानदायक है।
सार्वजनिक बजट पर भी दबाव
दूसरी तरफ, वायरस के नए रूप, कई देशों में कम टीका कवरेज और कुछ लोगों की टीकाकरण की स्वीकृति में देरी से नए प्रकार के समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है और सार्वजनिक बजट पर भी दबाव बढ़ सकता है। इसमें कहा गया है कि ऋण और गारंटी कार्यक्रमों सहित आकस्मिक देनदारियों की वसूली से भी सरकारी कर्ज में अप्रत्याशित वृद्धि हो सकती है।