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Income Tax Department given relief taxpayers in connection with adjusting refund against the outstanding tax
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Income Tax: रिफंड समायोजन पर कर अधिकारियों को अब 21 दिन में करना होगा फैसला, विभाग ने करदाताओं को दी राहत
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: वीरेंद्र शर्मा
Updated Mon, 05 Dec 2022 06:12 AM IST
सार
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अधिकारी 21 दिन के भीतर सीपीसी को अपनी राय देंगे कि समायोजन किया जा सकता है या नहीं। आयकर अधिनियम की धारा 245 के तहत असेसिंग अधिकारी, करदाता की ओर से बकाया किसी भी कर मांग के खिलाफ रिफंड को समायोजित कर सकता है।
आयकर विभाग ने बकाया कर के मुकाबले रिफंड को समायोजित (एडजस्ट) करने के सिलसिले में करदाताओं को राहत दी है। कर अधिकारियों को इस तरह के मामलों में अब 21 दिन में निर्णय करना होगा। पहले यह अवधि 30 दिन की थी। इस फैसले से मुकदमेबाजी में कमी आएगी। आयकर विभाग की ओर से जारी बयान के अनुसार, यदि करदाता समायोजन के लिए सहमत नहीं है या आंशिक रूप से सहमत है तो मामले को सेंट्रल प्रोसेसिंग यूनिट (सीपीसी) द्वारा तुरंत असेसिंग अधिकारी को भेजा जाएगा।
अधिकारी 21 दिन के भीतर सीपीसी को अपनी राय देंगे कि समायोजन किया जा सकता है या नहीं। आयकर अधिनियम की धारा 245 के तहत असेसिंग अधिकारी, करदाता की ओर से बकाया किसी भी कर मांग के खिलाफ रिफंड को समायोजित कर सकता है। यदि करदाता कर मांग से असहमत हैं तो वे इंटीमेशन नोटिस का जवाब दे सकते हैं। आयकर निदेशालय का कहना है कि असेसिंग अधिकारी को वैसे तो अभी 30 दिनों के भीतर प्रतिक्रिया देनी होती है लेकिन कई मामलों में प्रतिक्रिया समय पर नहीं दी जाती है। इससे रिफंड जारी करने में देरी होती है, जिससे शिकायतें और मुकदमेबाजी होती है। रिफंड जारी करने में इस तरह की देरी से ब्याज का अतिरिक्त बोझ पड़ रहा है।
रिफंड का गलत समायोजन हुआ
रिफंड के समायोजन से जुड़े कई मामलों में सीपीसी ने पाया कि मांग का गलत वर्गीकरण या असेसिंग अधिकारी की प्रतिक्रिया न मिलने के चलते रिफंड का गलत समायोजन हुआ। ऐसे में अनावश्यक मुकदमेबाजी हुई। ताजा निर्देश के बाद करदाताओं के सामने आने वाली कठिनाइयों का तेजी से समाधान होगा। यह निर्देश असेसिंग अधिकारी के इस दायित्व को भी दोहराता है कि विभिन्न प्राधिकरणों द्वारा दिए गए स्टे और ली गई किस्तों के आधार पर सही मांग की स्थिति को अपडेट किया जा सकेगा।
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