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लोन की दरें अब इसके बाद बढ़नी मुश्किल है या फिर बहुत कम बढ़ेंगी। जबकि फिक्स्ड डिपॉजिट (एफडी) की भी ब्याज दरें इस बार बढ़ने के बाद स्थिर हो सकती हैं या आगे चलकर थोड़ी-बहुत इसमें वृद्धि हो सकती है। दरअसल, बैंकों के कर्ज की वृद्धि अब सालाना स्तर पर 17 फीसदी के करीब हो गई है।
बैंक | एफडी दर | अवधि |
एसबीआई | 6.25% | दो से तीन साल |
यूनियन बैंक | 7.30% | 800 दिन से 3 साल |
बैंक ऑफ इंडिया | 7.25% | 777 दिन |
केनरा बैंक | 7.00% | 666 दिन |
पीएनबी | 7.00% | 600 दिन |
एक्सिस बैंक | 6.50% | 18 माह से 10 साल |
एचडीएफसी बैंक | 6.50% | 18 से 60 माह |
आईसीआईसीआई | 6.50% | दो से 10 साल |
(सोर्स: बैंक बाजार, आंकड़े : 2 दिसंबर तक के) |
बैंकों की एफडी सुरक्षा और तरलता वाली
वैसे बड़े और प्रतिष्ठित बैंकों की एफडी की दर भले कम होती है, लेकिन यहां पर सुरक्षा और तरलता ज्यादा होती है। साथ ही गारंटी रिटर्न होता है। इसलिए यह सभी ग्राहकों के लिए अच्छा होता है। वे अपने प्रोफाइल के आधार पर इसमें निवेश कर सकते हैं। साथ ही वरिष्ठ नागरिकों के लिए यह एक बेहतर विकल्प है। चूंकि यहां पर गारंटी रिटर्न है इसलिए आपातकाल में मेडिकल की जरूरतों या फिर कहीं अचानक जाने के खर्च की जरूरतों को यह पूरा करने में अच्छा होता है।
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