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World Bank: रुपये में आई महज 10% की गिरावट भारतीय अर्थव्यवस्था की मजबूती के संकेत, विश्व बैंक ने सराहा
बिजनेस डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: विवेक दास
Updated Tue, 06 Dec 2022 02:48 PM IST
सार
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भारत ने कोरोना संकट के दौरान उभरी चुनौतियों को प्रभावशाली तरीके से निपटा है। कोरोना के दौरान हुए नुकसान की भरपाई घरेलू स्तर पर बड़े पैमाने पर मांग बढ़ने से हो पाई है। विश्व बैंक के अर्थशास्त्री ध्रुव शर्मा ने मंगलवार को एक कार्यक्रम के दौरान ये बातें कही है।
विश्व बैंक के वरिष्ठ अर्थशास्त्री ध्रुव शर्मा ने कहा है कि रुपये में इस वर्ष अब तक महज 10% की गिरावट आई है। दूसरे उभरते बाजारों की तुलना में रुपया में तुलनात्मक रूप से मजबूत बना हुआ है। ध्रुव के अनुसार, भारतीय अर्थव्यवस्था में बहुत लचीलापन आया है। बीते वर्षों में जो कदम उठाए गए हैं, उनसे वैश्विक संकटों के समय में चुनौतियों से निपटने में मदद मिली है।
भारत ने कोरोना के दौरान उभरी चुनौतियों को प्रभावशाली तरीके से निपटा है। कोरोना के दौरान हुए नुकसान की भरपाई घरेलू स्तर पर बड़े पैमाने पर मांग बढ़ने से हो पाई है। शर्मा ने ये बातें मंगलवार को विश्व बैंक की ओर से भारतीय जीडीपी के अनुमान को संशोधित कर 6.9 प्रतिशत करने के बाद आया है। शर्मा ने ये बातें विश्व बैंक के इंडिया डेवललपमेंट अपडेड जुड़े कार्यक्रम जिसका नाम "नेविगेटिंग द स्टॉर्म" है की लॉन्चिंग के बाद हुई एक प्रेसवार्ता के दौरान कही है।
विश्व बैंक के वरिष्ठ अर्थशास्त्री ध्रुव शर्मा ने कहा है कि हालांकि, मुद्रास्फीति आरबीआई की सीमा से थोड़ी अधिक है। हमें उम्मीद है कि अगले साल तक मुद्रास्फीति कम हो जाएगी और यह आरबीआई के 2-6% के दायरे में आ जाएगी। हम अगले वित्त वर्ष में इसके 5.1% तक रहने की उम्मीद करते हैं।
वहीं दूसरी ओर, विश्व बैंक के एक अन्य अर्थशास्त्री अगस्ते तानो काउमे ने कहा है कि भारत बहुत महत्वाकांक्षी है। सरकार ने भारतीय अर्थव्यवस्था को लचीला बनाने के लिए कई जरूरी कदम उठाए हैं। सरकार की ओर से अर्थव्यवस्था की मजबूती के लिए गंभीरता से प्रयास किए जा रहे हैं।
बता दें कि भारतीय मुद्रा में इस वर्ष बड़ी गिरावट दिखी है। फिलहाल यह डॉलर के मुकाबले 82 रुपये के लेवल पर कारोबार कर रहा है। अक्तूबर महीने के मध्य में यह अपने निम्नतम स्तर 83 रुपये के पार पहुंच गया है। ऐसा अमेरिकी फेडरल रिजर्व की ओर से अपनी मौद्रिक नीति सख्त करने और अन्य विकसित देशों की ओर से भी ब्याज दरों में की गई बढ़ोतरी के कारण हुआ था।
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