चंडीगढ़। मेरठ की 24 वर्षीया मुस्कान ने दुनिया से जाते हुए भी चार लोगों की जिंदगी में खुशियां बिखेरी हैं। 20 दिनों से पीजीआई में भर्ती मुस्कान को 15 नवंबर को ब्रेन डेड घोषित कर दिया गया। परिजनों से मिली अनुमति के बाद पीजीआई की टीम ने मुस्कान की दोनों किडनी और दोनों कार्निया संस्थान की प्रतीक्षा सूची में शामिल चार मरीजों को प्रत्यारोपित की है। इससे किडनी के दो गंभीर मरीजों की जान बची है और दो नेत्रहीनों को नेत्रज्योति प्राप्त हुई है।
पीजीआई निदेशक प्रो. विवेक लाल का कहना है कि अपने दुख को दरकिनार कर दूसरों के लिए सोचने वाला परिवार अनुकरणनीय और सम्माननीय है। ऐसे परिजनों की बदौलत ही अंगदान की रफ्तार बढ़ रही है। वास्तव में ये अपने एक निर्णय से दूसरों को नव जीवन का वरदान देना है।
मुस्कान के पिता गजेंद्र यादव ने बताया कि 27 अक्तूबर को वह घर में ही अचानक बेहोश हो गई। उसे एक स्थानीय अस्पताल में भर्ती कराया गया जहां से डॉक्टरों ने उसे 28 अक्तूबर को पीजीआई रेफर कर दिया। पीजीआई में 20 दिनों तक मुस्कान को बचाने का प्रयास किया गया, लेकिन 15 नवंबर को मुस्कान को ब्रेन डेड घोषित कर दिया गया। उन्होंने कहा कि अंगदान की जानकारी मिली तो मैंने और मेरी पत्नी सविता यादव ने बेटी का अंगदान करने का निर्णय लिया। सविता का कहना है कि मुस्कान हमारे परिवार की खुशी और मुस्कान का जरिया थी। परिवार की जीवन रेखा थी। उसकी हंसी और मुस्कान को हम कभी नहीं भूल सकते।
कोट-
मैं सभी से अंगदान जैसे नेक कदम को उठाने और दूसरों की जान बचाने की अपील करता हूं। अंगदान का निर्णय लेने वाले परिवार को मेरा सलाम है। इस अभियान को सफल बनाने के लिए ज्यादा से ज्यादा लोगों को अंगदान के लिए अपना पंजीकरण कराना चाहिए।
-प्रो. विपिन कौशल, चिकित्सा अधीक्षक व रोटो के नोडल अधिकारी, पीजीआई