संसार के किसी भी कोने में चले जाएं, लेकिन पंजाबियों की मेहमाननवाजी और जन्मभूमि अपनी तरफ खींच लाती है। यह कहना है लाहौर से अपने पुश्तैनी गांव खेड़ा गजू आए पाकिस्तान के पूर्व विदेश सचिव शमशाद अहमद खान का। शनिवार को वह अपने बेटे डॉ. फैजल शमशाद के साथ गांव पहुंचे। इस दौरान पुश्तैनी हवेली में पहुंचने पर गांववासियों ने उनका जोरदार स्वागत किया।
इस मौके पर वह पवन कुमार के घर में रुके। वहां उनके परिवार ने उनकी मेहमाननवाजी की। इस मौके पर पाकिस्तान के हाई कमीशन के अफसर वहीद खान भी मौजूद रहे। इस मौके पर उन्होंने कहा कि भारन और पाकिस्तान में आपसी भाईचारा मजबूत करने के लिए दोनों देशों को मिलकर बातचीत करनी चाहिए। इस मौके पर उन्होंने कहा कि वह देश के बंटवारे के समय सात साल के थे। उस समय वह पाकिस्तान चले गए थे। इसके बावजूद भी वह अपने पुराने साथियों को नहीं भूल पाए।
गांव पहुंचने पर वह अपने पुराने दोस्त चन्ना सिंह, हमीर सिंह चौकीदार और गुरदियाल सिंह के गले लगकर भावुक हो गए। इसके बाद पूर्व विदेश सचिव शमशाद ने अपने बेटे फैजल अहमद को अपने पूर्वजों के घर ले गए, जहां वह पढ़ते थे। वह मस्जिद और गुरुद्वारा साहिब भी दिखाए।
अपने बुजुर्गों की विरासत को याद रखने लिए वह अपने साथ ईटें भी ले गए। इसके बाद वह अपने पिता अनैत खान और बहन केसरी की मजार पर मत्था टेका। बता दें कि पूर्व विदेश सचिव शुक्रवार को अपने ननिहाल मलेरकोटला गए थे। इसके बाद शनिवार को अपने पुश्तैनी गांव पहुंचे।
संसार के किसी भी कोने में चले जाएं, लेकिन पंजाबियों की मेहमाननवाजी और जन्मभूमि अपनी तरफ खींच लाती है। यह कहना है लाहौर से अपने पुश्तैनी गांव खेड़ा गजू आए पाकिस्तान के पूर्व विदेश सचिव शमशाद अहमद खान का। शनिवार को वह अपने बेटे डॉ. फैजल शमशाद के साथ गांव पहुंचे। इस दौरान पुश्तैनी हवेली में पहुंचने पर गांववासियों ने उनका जोरदार स्वागत किया।
इस मौके पर वह पवन कुमार के घर में रुके। वहां उनके परिवार ने उनकी मेहमाननवाजी की। इस मौके पर पाकिस्तान के हाई कमीशन के अफसर वहीद खान भी मौजूद रहे। इस मौके पर उन्होंने कहा कि भारन और पाकिस्तान में आपसी भाईचारा मजबूत करने के लिए दोनों देशों को मिलकर बातचीत करनी चाहिए। इस मौके पर उन्होंने कहा कि वह देश के बंटवारे के समय सात साल के थे। उस समय वह पाकिस्तान चले गए थे। इसके बावजूद भी वह अपने पुराने साथियों को नहीं भूल पाए।
गांव पहुंचने पर वह अपने पुराने दोस्त चन्ना सिंह, हमीर सिंह चौकीदार और गुरदियाल सिंह के गले लगकर भावुक हो गए। इसके बाद पूर्व विदेश सचिव शमशाद ने अपने बेटे फैजल अहमद को अपने पूर्वजों के घर ले गए, जहां वह पढ़ते थे। वह मस्जिद और गुरुद्वारा साहिब भी दिखाए।
अपने बुजुर्गों की विरासत को याद रखने लिए वह अपने साथ ईटें भी ले गए। इसके बाद वह अपने पिता अनैत खान और बहन केसरी की मजार पर मत्था टेका। बता दें कि पूर्व विदेश सचिव शुक्रवार को अपने ननिहाल मलेरकोटला गए थे। इसके बाद शनिवार को अपने पुश्तैनी गांव पहुंचे।