चंडीगढ़। दवाइयों की स्थानीय खरीद में स्वास्थ्य विभाग के साथ फर्जीवाड़ा करने वाली दवा कंपनी के खिलाफ जांच शुरू कर दी गई है। स्वास्थ्य निदेशक डॉ. सुमन सिंह ने बताया कि कंपनी को नोटिस जारी कर जवाब मांगा गया था। कंपनी ने अपना जवाब भेज दिया है जिसे ड्रग इंस्पेक्टर को भेजकर समुचित जांच करने का निर्देश दिया गया है। हालांकि डॉ. सुमन सिंह ने यह नहीं बताया कि कंपनी ने क्या जवाब दिया है लेकिन उनका कहना है कि मामले की बारीकी से जांच की जाएगी।
उधर, इस मामले को लेकर स्वास्थ्य विभाग में चर्चाएं जारी हैं। कर्मचारी से लेकर अधिकारियों तक का कहना है कि स्वास्थ्य विभाग में इस तरह का फर्जीवाड़ा पहले नहीं हुआ है। कंपनी ने बड़ी चालाकी से स्वास्थ्य विभाग को चूना लगाया है। वहीं, कर्मचारियों का कहना है कि दवा की खरीद में शामिल अधिकारियों को जांच से दूर रखा जाए ताकि मामले की निष्पक्ष जांच हो सके। बता दें कि स्थानीय खरीद के नाम पर फिजीशियन सैंपल की दवाओं की आपूर्ति स्वास्थ्य विभाग को करने का फर्जीवाड़ा सामने आया है, जिसके बाद मामले की जांच शुरू कर दी गई है।
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ऐसे होती है दवा की खरीद
25 हजार तक की दवा खरीद के लिए स्थानीय खरीद, 25 हजार से दो लाख की खरीद के लिए कोटेशन जबकि दो लाख से ज्यादा की खरीद में जैम पोर्टल या ई- टेंडर किया जाता है। स्टोर कीपर डिमांड बनाता है। उसके बाद आर्डर स्वीकृत होता है लेकिन इससे पहले टेक्निकल कमेटी उसे जांचती है और उसकी संस्तुति देती है। इसके आधार पर अनुमति मिलती है। खरीद के बाद स्टाक बिल के साथ स्टोर कीपर के पास आता है। इसके बाद उसे स्टोर ऑफिसर के पास भेजा जाता है, जिस पर उसे डेट और स्टॉक चेक करके लिखना होता है। स्टैंडिंग कमेटी के पांच सदस्यों में से तीन सदस्यों से शारीरिक सत्यापन के बाद फाइल पर हसताक्षर करना होता है। उसके बाद इंट्री और इंडेंट बुक पर उसे इशू किया जाता है।
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क्या कहते हैं मानक
- खरीद में गड़बड़ी मिलने पर जांच में किसी भी संबंधित कर्मचारी और अधिकारी को शामिल नहीं किया जाता ताकि जांच पूरी तरह निष्पक्ष हो।
- दवा की सत्यापन कमेटी में शामिल डॉक्टरों को नोटिस जारी किया जाता है।
- धोखाधड़ी करने वाली कंपनी को ब्लैक लिस्ट कर उसके स्टॉक वापस करने और भुगतान पर रोकने का प्रावधान है।