पंजाब के थर्मल प्लांटों में कोयले का संकट खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है। हालांकि सोमवार को लहरा मुहब्बत थर्मल प्लांट की बंद यूनिट चल पड़ी लेकिन प्राइवेट तलवंडी साबो व गोइंदवाल प्लांट की बंद दो यूनिट चालू नहीं हो सकीं। इससे 930 मेगावाट बिजली आपूर्ति ठप रहने से पावरकॉम को बिजली की बढ़ती मांग को पूरा करने में मुश्किलों का सामना करना पड़ा।
बाहर से खरीदने के बावजूद 600 मेगावाट बिजली की कमी रहने के कारण कट लगाने पड़े। सोमवार को पंजाब में बिजली की अधिकतम मांग 9300 मेगावाट दर्ज की गई। जबकि पावरकॉम के पास बिजली की उपलब्धता 4700 मेगावाट ही रही। इसमें रोपड़ व लहरा मुहब्बत की आठ यूनिटों से 1537 मेगावाट, तलवंडी साबो, राजपुरा और गोइंदवाल की पांच यूनिटों से 2737 मेगावाट, हाइडल प्रोजेक्टों से 349 मेगावाट समेत अन्य स्रोतों से पावरकॉम को बिजली हासिल हुई।
मांग के हिसाब से बिजली की सप्लाई में कमी को दूर करने के लिए पावरकॉम ने बाहर से 4000 मेगावाट बिजली ली। बावजूद इसके 600 मेगावाट बिजली की कमी रहने के कारण पावरकॉम को कट लगाने पड़े। पावरकॉम ने आज गांवों में पांच घंटे तक और कंडी इलाकों में दो घंटे तक के कट लगाए।
उधर, राजपुरा में सोमवार को पांच दिनों का, लहरा में तीन, तलवंडी साबो में सात, राजपुरा में 19 और गोइंदवाल में मात्र एक दिन का कोयला बचा है। राजपुरा थर्मल प्लांट में सोमवार को बिजली मंत्री हरभजन सिंह ने दावा किया कि जल्द ही पचवाड़ा कोयला खदान शुरू होने से थर्मल प्लांट में चल रहा कोयला संकट समाप्त हो जाएगा। साथ ही माना कि पिछले साल के मुकाबले इस बार बिजली की मांग में 40 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज की जा रही है। बावजूद इसके पावरकॉम इस मांग को काफी हद तक पूरा कर पा रहा है। जबकि देश के बाकी राज्यों में तो बिजली की बड़ी किल्लत से लंबे-लंबे कटों का लोगों को सामना करना पड़ रहा है।
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पंजाब के थर्मल प्लांटों में कोयले का संकट खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है। हालांकि सोमवार को लहरा मुहब्बत थर्मल प्लांट की बंद यूनिट चल पड़ी लेकिन प्राइवेट तलवंडी साबो व गोइंदवाल प्लांट की बंद दो यूनिट चालू नहीं हो सकीं। इससे 930 मेगावाट बिजली आपूर्ति ठप रहने से पावरकॉम को बिजली की बढ़ती मांग को पूरा करने में मुश्किलों का सामना करना पड़ा।
बाहर से खरीदने के बावजूद 600 मेगावाट बिजली की कमी रहने के कारण कट लगाने पड़े। सोमवार को पंजाब में बिजली की अधिकतम मांग 9300 मेगावाट दर्ज की गई। जबकि पावरकॉम के पास बिजली की उपलब्धता 4700 मेगावाट ही रही। इसमें रोपड़ व लहरा मुहब्बत की आठ यूनिटों से 1537 मेगावाट, तलवंडी साबो, राजपुरा और गोइंदवाल की पांच यूनिटों से 2737 मेगावाट, हाइडल प्रोजेक्टों से 349 मेगावाट समेत अन्य स्रोतों से पावरकॉम को बिजली हासिल हुई।
मांग के हिसाब से बिजली की सप्लाई में कमी को दूर करने के लिए पावरकॉम ने बाहर से 4000 मेगावाट बिजली ली। बावजूद इसके 600 मेगावाट बिजली की कमी रहने के कारण पावरकॉम को कट लगाने पड़े। पावरकॉम ने आज गांवों में पांच घंटे तक और कंडी इलाकों में दो घंटे तक के कट लगाए।
उधर, राजपुरा में सोमवार को पांच दिनों का, लहरा में तीन, तलवंडी साबो में सात, राजपुरा में 19 और गोइंदवाल में मात्र एक दिन का कोयला बचा है। राजपुरा थर्मल प्लांट में सोमवार को बिजली मंत्री हरभजन सिंह ने दावा किया कि जल्द ही पचवाड़ा कोयला खदान शुरू होने से थर्मल प्लांट में चल रहा कोयला संकट समाप्त हो जाएगा। साथ ही माना कि पिछले साल के मुकाबले इस बार बिजली की मांग में 40 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज की जा रही है। बावजूद इसके पावरकॉम इस मांग को काफी हद तक पूरा कर पा रहा है। जबकि देश के बाकी राज्यों में तो बिजली की बड़ी किल्लत से लंबे-लंबे कटों का लोगों को सामना करना पड़ रहा है।