चंडीगढ़। सेक्टर-26 स्थित पुलिस लाइन के मकान नंबर-136 से 143 में पिछले कई दशकों से पानी का मीटर नहीं लगा है। वर्षों से एवरेज पर बिल भेजा जा रहा है। वह मीटर लगाने की मांग कर रहे हैं। डेढ़ साल पहले चंडीगढ़ डीजीपी ऑफिस ने भी चीफ इंजीनियर को पत्र लिखा था लेकिन इंजीनियरिंग विभाग के अधिकारियों के लेटलतीफी का आलम यह है कि आज तक मीटर नहीं लगा है।
16 मार्च 2021 को डीजीपी ऑफिस की तरफ से चीफ इंजीनियर को पत्र लिखा गया और कहा गया कि सेक्टर-26 पुलिस लाइन के मकान नंबर-136 से 143 तक में रहने वाले लोगों के घरों में पिछले काफी समय से एवरेज पर पानी का बिल भेजा जा रहा है। आलम यह उन्हें दो से तीन गुना ज्यादा बिल चुकाना पड़ रहा है। पुलिस पूल के इन मकानों में प्राथमिकता के आधार पर पानी के मीटर लगाए जाने चाहिए। पत्र लिखने के छह महीने बाद भी मीटर नहीं लगे तो 3 सितंबर 2021 को फिर एसपी हेडक्वार्टर की तरफ से चीफ इंजीनियर को एक रिमाइंडर लेटर भेजा गया और बताया गया कि पानी के मीटर अभी तक नहीं लगे हैं इसलिए मीटर को प्राथमिकता के आधार पर लगाया जाए। इस रिमाइंडर को भी अब 15 महीने हो चुके हैं, लेकिन आज तक लोग मीटर के लगने का इंतजार कर रहे हैं। हैरानी की बात है कि शहर में पानी का एक मीटर लगवाने के लिए डीजीपी दफ्तर को पत्र लिखना पड़ता है और उसके बावजूद इंजीनियरिंग विभाग के अधिकारियों व कर्मचारियों ने मीटर नहीं लगाया है।
आसपास के घरों से दो से तीन गुना ज्यादा चुका रहे बिल
पुलिस लाइन के इन घरों में रहने वाले लोग कभी एक अधिकारी तो कभी दूसरे अधिकारी के दफ्तर के चक्कर काट रहे हैं। लोगों ने बताया कि वह सेक्टर-18 जाते हैं तो उन्हें कभी सेक्टर-26 तो कभी सेक्टर-4 तो कभी सेक्टर-32 भेजा जाता है, लेकिन आज तक मीटर नहीं का कनेक्शन नहीं लगा। करीब दो साल से वह मीटर के लिए चक्कर काट रहे हैं। मीटर नहीं होने से बिजली से ज्यादा पानी का बिल भरना पड़ रहा है। आसपास के घरों में पानी का बिल 500 से 800 रुपये आ रहा है, लेकिन उन्हें 2000 से 3000 रुपये चुकाना पड़ रहा है।