दीपक सिंह नेगी, अमर उजाला, हल्द्वानी
Published by: Nirmala Suyal Nirmala Suyal
Updated Mon, 17 Jan 2022 10:05 AM IST
उत्तराखंड के वरिष्ठ नेता हरक सिंह रावत निरंतर चर्चाओं में रहते हैं। उनकी मुखरता कई बार भाजपा को विकट स्थिति में डाल देती है। चुनावी साल में तो हरक सिंह रावत के तेवर और तल्ख होते चले गए। फिर चाहे वह पुष्कर सिंह धामी को नया मुखिया घोषित करने के दौरान दिखी नाराजगी हो या समय-समय पर पार्टी विरोधी बयानबाजी।
चुनावी साल में हरक सिंह रावत की ‘हिमाकत’ से भाजपा आलाकमान भी अंजान नहीं था। इसीलिए बीते दिनों हुए अपने दौरों में स्वयं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हरक को तवज्जो देना नहीं भूले। लेकिन उनकी यह ‘आपदा प्रबंधन’ नीति काम नहीं आई और हरक सिंह के कांग्रेस का दामन थामने से पहले ही पार्टी ने उन्हें बाहर का रास्ता दिखाना मुनासिब समझा।
सियासी हलचल: हरक सिंह भाजपा से छह साल के लिए निष्कासित, मंत्रिमंडल से भी बर्खास्त, आज थाम सकते हैं कांग्रेस का दामन
भाजपा हाईकमान को जब मजबूरन तीरथ सिंह रावत को सीएम पद से हटाना पड़ा तो कई नामों की चर्चाएं हुईं। ऐसे में कई वरिष्ठ और अनुभवी नेताओं को दरकिनार कर जब पार्टी ने एक ऐसे विधायक को सीएम की कुर्सी सौंपी, जिसके पास अब तक कोई विभाग भी नहीं था तो हरक सिंह रावत समेत कई नेताओं की नाराजगी बाहर आ गई।
हालांकि हाईकमान के तल्ख तेवर के बीच धामी के नेतृत्व में काम करने के लिए राजी हो गए थे। सात अक्तूबर को ऋषिकेश एम्स से देश भर के लिए 35 पीएसए ऑक्सीजन प्लांट राष्ट्र को समर्पित करने के कार्यक्रम में पहुंचे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की एयरपोर्ट पर हरक से मुलाकात हुई, जहां उन्होंने हरक सिंह रावत से हंसी ठिठोली में ‘और हरक जी, कैसी है आपकी हनक’ पूछा था। इस दौरान पीएम ने हरक की पीठ भी थपथपाई। बकौल हरक प्रधानमंत्री ने बाघ दिवस पर उन्हें उत्तराखंड का टाइगर कहकर भी संबोधित किया था।
बीते दिनों हल्द्वानी में सीएम की जनसभा से पूर्व भी हरक सिंह रावत कैबिनेट बैठक में इस्तीफे की घोषणा कर निकल गए थे, जिन्हें बाद में भाजपा ने मना लिया था। सीएम पुष्कर सिंह धामी का उनके साथ हंसते हुए भोजन करते एक वीडियो वायरल हुआ था। तब हरक सिंह ने पुष्कर सिंह धामी को छोटा भाई बताते हुए आशीर्वाद दिया था। 30 दिसंबर को हुई जनसभा में सबकी निगाहें हरक पर ही टिकी थी।
पीएम मोदी ने भी अपने संबोधन के बाद हरक की पीठ थपथपाकर ‘डैमेज कंट्रोल’ का प्रयास किया था। ऐसा लगा भी मानों भाजपा ने हरक सिंह रावत को मना लिया लेकिन हरक सिंह रावत की सीट बदलने और बहू के लिए टिकट की डिमांड ने प्रदेश भाजपा हाईकमान को असहज कर दिया। हरक सिंह शनिवार को एक बार फिर चर्चा में तब आए, जब वह प्रदेश भाजपा कार्यालय में कोर ग्रुप की बैठक में शामिल नहीं हुए।
आपदा में तो सांप-नेवला भी एक हो जाते हैं
बीते दिनों प्रदेश के पूर्व सीएम हरीश रावत को हरक सिंह रावत ने बड़ा भाई बताते हुए उनके खिलाफ कुछ भी बोलने से इंकार किया था। इसके बाद हरीश रावत ने उन्हें फोन कर कहा था कि आपदा में तो सांप और नेवला भी एक हो जाते हैं, फिर वे दोनों तो भाई हैं।
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उत्तराखंड के वरिष्ठ नेता हरक सिंह रावत निरंतर चर्चाओं में रहते हैं। उनकी मुखरता कई बार भाजपा को विकट स्थिति में डाल देती है। चुनावी साल में तो हरक सिंह रावत के तेवर और तल्ख होते चले गए। फिर चाहे वह पुष्कर सिंह धामी को नया मुखिया घोषित करने के दौरान दिखी नाराजगी हो या समय-समय पर पार्टी विरोधी बयानबाजी।
चुनावी साल में हरक सिंह रावत की ‘हिमाकत’ से भाजपा आलाकमान भी अंजान नहीं था। इसीलिए बीते दिनों हुए अपने दौरों में स्वयं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हरक को तवज्जो देना नहीं भूले। लेकिन उनकी यह ‘आपदा प्रबंधन’ नीति काम नहीं आई और हरक सिंह के कांग्रेस का दामन थामने से पहले ही पार्टी ने उन्हें बाहर का रास्ता दिखाना मुनासिब समझा।
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भाजपा हाईकमान को जब मजबूरन तीरथ सिंह रावत को सीएम पद से हटाना पड़ा तो कई नामों की चर्चाएं हुईं। ऐसे में कई वरिष्ठ और अनुभवी नेताओं को दरकिनार कर जब पार्टी ने एक ऐसे विधायक को सीएम की कुर्सी सौंपी, जिसके पास अब तक कोई विभाग भी नहीं था तो हरक सिंह रावत समेत कई नेताओं की नाराजगी बाहर आ गई।
हालांकि हाईकमान के तल्ख तेवर के बीच धामी के नेतृत्व में काम करने के लिए राजी हो गए थे। सात अक्तूबर को ऋषिकेश एम्स से देश भर के लिए 35 पीएसए ऑक्सीजन प्लांट राष्ट्र को समर्पित करने के कार्यक्रम में पहुंचे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की एयरपोर्ट पर हरक से मुलाकात हुई, जहां उन्होंने हरक सिंह रावत से हंसी ठिठोली में ‘और हरक जी, कैसी है आपकी हनक’ पूछा था। इस दौरान पीएम ने हरक की पीठ भी थपथपाई। बकौल हरक प्रधानमंत्री ने बाघ दिवस पर उन्हें उत्तराखंड का टाइगर कहकर भी संबोधित किया था।