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Delhi High Court: महबूबा मुफ्ती ने पीएमएलए प्रावधान को चुनौती देने वाली याचिका वापस ली, अदालत ने दी मंजूरी
अमर उजाला ब्यूरो, दिल्ली
Published by: अनुराग सक्सेना
Updated Wed, 30 Nov 2022 07:16 PM IST
सार
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मुख्य न्यायाधीश सतीश चंद्र शर्मा और न्यायमूर्ति सुब्रमणियम प्रसाद की पीठ के समक्ष जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री की ओर से पेश वकील ने मार्च 2021 में दायर याचिका को वापस लेने के अपने फैसले के बारे में जानकारी दी।
जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री एवं पीडीपी नेता महबूबा मुफ्ती ने धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के एक प्रावधान की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली अपनी याचिका वापस ले ली। उन्होंने तर्क रखा कि सर्वोच्च न्यायालय ने उठाए गए मुद्दों पर फैसला दिया है, ऐसे में याचिका वापस लेने की मंजूरी प्रदान की जाए। अदालत ने उन्हें याचिका वापस लेने की मंजूरी प्रदान कर दी।
मुख्य न्यायाधीश सतीश चंद्र शर्मा और न्यायमूर्ति सुब्रमणियम प्रसाद की पीठ के समक्ष जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री की ओर से पेश वकील ने मार्च 2021 में दायर याचिका को वापस लेने के अपने फैसले के बारे में जानकारी दी। याचिका में मनी लॉन्ड्रिंग के एक मामले में प्रवर्तन निदेशालय द्वारा उन्हें जारी किए गए समन को भी चुनौती दी गई थी और उस पर रोक लगाने की मांग की गई थी, जिसे अदालत ने पहले अस्वीकार कर दिया था।
उन्होंने अदालत को बताया कि याचिकाकर्ता द्वारा उठाए गए मुद्दों को सुप्रीम कोर्ट ने एक फैसले में पहले ही संबोधित कर दिया है। मुफ्ती ने अपनी याचिका में प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट की धारा 50 को अमान्य और निष्क्रिय घोषित करने की मांग की थी, जो गलत तरीके से भेदभावपूर्ण, सुरक्षा उपायों से रहित और संविधान के अनुच्छेद 20 (3) का उल्लंघन है। अधिनियम की धारा 50 ईडी प्राधिकरण को सबूत देने या रिकॉर्ड पेश करने के लिए किसी भी व्यक्ति को बुलाने का अधिकार देती है।
ईडी ने शुरुआत में मुफ्ती को 15 मार्च, 2021 के लिए तलब किया था, लेकिन उस समय उनकी व्यक्तिगत पेशी पर जोर नहीं दिया। इसके बाद उन्हें 22 मार्च 2021 के लिए समन भेजा गया था। मुफ्ती ने अपनी याचिका में कहा कि पीएमएलए के प्रावधानों के तहत उन्हें ईडी से समन मिला है जिसमें सजा के तौर पर सबूत मांगा गया है, जबकि वह जांच का विषय है।
याचिका में दावा किया गया है कि जब से मुफ्ती को संविधान के अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के बाद नजरबंदी से रिहा किया गया था, तब से राज्य द्वारा उनके, उनके परिचितों और पुराने पारिवारिक मित्रों के खिलाफ कई शत्रुतापूर्ण कार्य किए गए हैं, जिन्हें ईडी द्वारा समन किया गया है और उनके व्यक्तिगत, राजनीतिक और वित्तीय मामलों की गहन पूछताछ की गई।
उन्होंने आरोप लगाया कि पूछताछ के दौरान उनके निजी इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों को जब्त कर लिया। केंद्र ने पिछले साल उच्च न्यायालय को बताया था कि उसने मुफ्ती की याचिका को शीर्ष अदालत में स्थानांतरित करने की मांग करते हुए उच्चतम न्यायालय के समक्ष एक याचिका दायर की है क्योंकि पीएमएलए के विभिन्न प्रावधानों और योजना से संबंधित कई याचिकाएं वहां लंबित हैं।
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