रेलवे सुरक्षा बल (आरपीएफ) ने सॉफ्टवेयर के जरिये रेलवे की फर्जी आईडी बनाकर एक्सप्रेस ट्रेनों के नकली ई-टिकट बेचने के गिरोह का खुलासा किया है। आरपीएफ की टीम ने दादरी के समाधिपुर गांव के एक साइबर कैफे पर कार्रवाई कर संचालक रतीपाल को गिरफ्तार किया है। मौके से 15 टिकट, 6220 रुपये, कंप्यूटर, सीपीयू, प्रिंटर, मॉनिटर, की-बोर्ड, जिओ वाईफाई डोंगल, डेबिट-क्रेडिट कार्ड की स्वाइप मशीन आदि सामान बरामद किया गया है।
आरपीएफ के प्रभारी निरीक्षक एसके वर्मा ने बताया कि प्रयागराज के अधिकारियों को लगातार नकली ई-टिकट बेचने की शिकायत मिल रही थी। आरपीएफ और साइबर अपराध शाखा की टीम ने संयुक्त कार्रवाई करते हुए रविवार को गांव समाधिपुर में रीवा इंटरनेट के नाम से चल रहे साइबर कैफे छापा मारा। जांच में पता चला कि रेलवे के अधिकृत एजेंट की दो व्यक्तिगत यूजर आईडी बनाकर सॉफ्टवेयर से नकली ई-टिकट बनाकर बेची जा रही हैं। आरोपी लगभग दो साल से फर्जीवाड़ा कर सैकड़ों यात्रियों को टिकट बेच चुका है।
हालांकि, अभी दो माह का डाटा ही टीम को मिला है। यात्रियों से टिकट के बदले 150-200 रुपये अधिक लेता था। इससे भारतीय रेल को राजस्व का नुकसान भी हो रहा था। रेलवे एक्ट की धारा-143 के अंतर्गत केस दर्ज कर आरपीएफ की टीम अन्य आरोपियों की तलाश कर रही है।
ग्राहक बनकर की कार्रवाई
आरपीएफ के अधिकारियों ने बताया कि साइबर कैफे संचालक के नकली ई-टिकट बेचने की जानकारी होने पर टीम ने ग्राहक बनकर जांच की। आरोपी ने बातचीत के बाद ई-टिकट बनाकर दी। इसके बाद आरोपी को गिरफ्तार कर लिया गया।
यात्रा में विवाद के बाद शुरू हुई थी जांच
आरोपी खाली सीट की नकली ई-टिकट बेचता था जो असली लगती थी। ऐसे में यात्रा के दौरान रेलवे के टिकट चेकर भी पहचान नहीं पाते थे, लेकिन कई बार रेलवे की अधिकारिक रूप से टिकट बिक्री के बाद यात्रियों में विवाद के मामले सामने आने लगे थे। जब टिकटों की जांच की गई तो नकली ई-टिकट के फर्जीवाड़े का खुलासा हो गया।
टेलीग्राम एप से देशभर में सॉफ्टवेयर की कर रहे बिक्री
आरपीएफ अधिकारियों के मुताबिक, साइबर कैफे संचालक को पूरे फर्जीवाड़े की सही जानकारी नहीं है। गिरोह के मुख्य आरोपी टेलीग्राम एप के चैनल से सॉफ्टवेयर की देशभर में बिक्री कर रहे हैं। अब इस मामले में रतीराम की तरह फर्जी ई-टिकट बेचने वाले अन्य आरोपियों की तलाश शुरू कर दी गई है।
रेलवे सुरक्षा बल (आरपीएफ) ने सॉफ्टवेयर के जरिये रेलवे की फर्जी आईडी बनाकर एक्सप्रेस ट्रेनों के नकली ई-टिकट बेचने के गिरोह का खुलासा किया है। आरपीएफ की टीम ने दादरी के समाधिपुर गांव के एक साइबर कैफे पर कार्रवाई कर संचालक रतीपाल को गिरफ्तार किया है। मौके से 15 टिकट, 6220 रुपये, कंप्यूटर, सीपीयू, प्रिंटर, मॉनिटर, की-बोर्ड, जिओ वाईफाई डोंगल, डेबिट-क्रेडिट कार्ड की स्वाइप मशीन आदि सामान बरामद किया गया है।
आरपीएफ के प्रभारी निरीक्षक एसके वर्मा ने बताया कि प्रयागराज के अधिकारियों को लगातार नकली ई-टिकट बेचने की शिकायत मिल रही थी। आरपीएफ और साइबर अपराध शाखा की टीम ने संयुक्त कार्रवाई करते हुए रविवार को गांव समाधिपुर में रीवा इंटरनेट के नाम से चल रहे साइबर कैफे छापा मारा। जांच में पता चला कि रेलवे के अधिकृत एजेंट की दो व्यक्तिगत यूजर आईडी बनाकर सॉफ्टवेयर से नकली ई-टिकट बनाकर बेची जा रही हैं। आरोपी लगभग दो साल से फर्जीवाड़ा कर सैकड़ों यात्रियों को टिकट बेच चुका है।
हालांकि, अभी दो माह का डाटा ही टीम को मिला है। यात्रियों से टिकट के बदले 150-200 रुपये अधिक लेता था। इससे भारतीय रेल को राजस्व का नुकसान भी हो रहा था। रेलवे एक्ट की धारा-143 के अंतर्गत केस दर्ज कर आरपीएफ की टीम अन्य आरोपियों की तलाश कर रही है।
ग्राहक बनकर की कार्रवाई
आरपीएफ के अधिकारियों ने बताया कि साइबर कैफे संचालक के नकली ई-टिकट बेचने की जानकारी होने पर टीम ने ग्राहक बनकर जांच की। आरोपी ने बातचीत के बाद ई-टिकट बनाकर दी। इसके बाद आरोपी को गिरफ्तार कर लिया गया।
यात्रा में विवाद के बाद शुरू हुई थी जांच
आरोपी खाली सीट की नकली ई-टिकट बेचता था जो असली लगती थी। ऐसे में यात्रा के दौरान रेलवे के टिकट चेकर भी पहचान नहीं पाते थे, लेकिन कई बार रेलवे की अधिकारिक रूप से टिकट बिक्री के बाद यात्रियों में विवाद के मामले सामने आने लगे थे। जब टिकटों की जांच की गई तो नकली ई-टिकट के फर्जीवाड़े का खुलासा हो गया।
टेलीग्राम एप से देशभर में सॉफ्टवेयर की कर रहे बिक्री
आरपीएफ अधिकारियों के मुताबिक, साइबर कैफे संचालक को पूरे फर्जीवाड़े की सही जानकारी नहीं है। गिरोह के मुख्य आरोपी टेलीग्राम एप के चैनल से सॉफ्टवेयर की देशभर में बिक्री कर रहे हैं। अब इस मामले में रतीराम की तरह फर्जी ई-टिकट बेचने वाले अन्य आरोपियों की तलाश शुरू कर दी गई है।