क्लैट में ऑल इंडिया 26वीं रैंक हासिल करने वाली अदिति सेठ ने सोशल मीडिया से दूरी बनाकर तैयारी की।
16 जून 2019
देश में प्रतिदिन बढ़ रहे कोविड-19 संक्रमण के मामलों के बीच, अब महाराष्ट्र, दिल्ली, गुजरात, छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश से एंटी-वायरल रेमडेसिविर की किल्लत की खबरें सामने आने लगी हैं। रविवार को वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय के अधीन विदेश व्यापार निदेशालय ने आदेश जारी कर रेमडेसिविर और इसके उत्पादन में उपयोग की जाने वाली दवा सामग्री (एपीआई) के निर्यात पर रोक लगा दी है। यह प्रतिबंध अगले आदेश तक जारी रहेगा।
गंभीर मरीजों पर रेमडेसिविर का कम प्रभाव
रेमडेसिविर एक एंटी-वायरल इंजेक्शन है। इसका काम वायरस की प्रतिकृति को रोकना है। इसका निर्माण 2014 में इबोला के इलाज के लिए किया गया था, और तब से इसका उपयोग सार्स (SARS) और मर्स (MERS) के इलाज के लिए किया जाने लगा। अब वर्ष 2020 में कोविड-19 के उपचार के लिए इसे पुनर्निर्मित किया गया था। अभी तक के उपयोग में रेमडेसिविर का सबसे ज्यादा असर कोविड-19 के हल्के लक्षणों और अस्पतालों में शुरुआती दौर में भर्ती होने वाले मरीजों पर देखा गया है। वहीं देर से भर्ती होने वाले मरीजों में इसका बहुत कम प्रभाव होता है।
महाराष्ट्र को प्रतिदिन 40 से 50 हजार रेमडेसिविर की जरूरत
खाद्य और औषधि निरीक्षक सांसद शोभित कोस्टा बताते हैं कि भारत में कुल मरीजों में से 11 लाख सक्रिय मरीज केवल महाराष्ट्र में हैं, जिन्हें अब रोजाना 40,000-50,000 रेमडेसिविर की जरूरत पड़ने वाली है, जबकि पिछले साल प्रतिदिन अधिकतम 30,000 रेमडेसिविर की आवश्यकता पड़ी थी। रेमडेसिविर की इतनी मांग का मुख्य कारण, लगातार बढ़ रहे कोरोना संक्रमण के मामलें और मैन्युफैक्चरिंग व सप्लाई में आनी वाली समस्याएं हैं। रेमडेसिविर के कुल उत्पादन का लगभग 70% महाराष्ट्र की ओर मोड़ दिया जाता है। शेष 30% अन्य राज्यों को वितरित किया जाता है। यदि हमें 7,000 शीशियों की आवश्यकता है, तो हमें केवल 1,500-2,000 शीशियां ही मिलती हैं।