अंबाला। बाल मजदूरी के खिलाफ विभाग की अनदेखी का अमर उजाला में एक दिसंबर को प्रकाशित समाचार आखिरकार रंग लाया। सोमवार को इस मामले को गंभीरता से लेते हुए उपायुक्त डॉ. प्रियंका सोनी ने जिला टास्क फोर्ट की टीम को छापामारी करने के आदेश दिए। जिसके बाद टीम ने अंबाला शहर में सीप एंड बाईट सहित डच बेकरी में छापामारी कर छह बच्चों को बाल मजदूरी से मुक्त करवाया और अपने संरक्षण में लिया। इस टीम में बाल कल्याण समिति, चाइल्डलाइन अंबाला, एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट, श्रम विभाग व जिला बाल संरक्षण इकाई अंबाला के संयुक्त तत्वावधान में कार्रवाई की और मानव चौक पर सीप एंड बाईट से पांच बच्चों और डच बेकरी से एक बच्चे को मुक्त करवाया।
बाल कल्याण समिति के समक्ष किया पेश
बच्चों को मुक्त करवाने के बाद बाल कल्याण समिति के समक्ष पेश किया गया। चाइल्डलाइन अंबाला कोआर्डिनेटर अजय तिवारी ने बताया कि बाल मजदूरी से संबंधित मामलों में उपायुक्त अंबाला द्वारा डीटीएफ टीम का गठन किया हुआ है। बाल मजदूरी से अपने संरक्षण में लिया व संबंधित पुलिस स्टेशन में बच्चों की डीडीआर व नागरिक अस्पताल अंबाला शहर से मेडिकल करवाकर बच्चों को बाल कल्याण समिति अंबाला के समक्ष प्रस्तुत किया।
पिछले कई दिनों से बाल मजदूरी की आ रही थी शिकायतें
बाल कल्याण समिति चेयरपर्सन रंजीता सचदेवा ने बताया कि पिछले कई दिनों से अंबाला शहर में बाल मजदूरी से संबंधित शिकायतें प्राप्त होने पर कार्रवाई की गई। अभी बच्चों की काउंसलिंग की जा रही है जिसके बाद बच्चों को परिजनों को सौंपा जाएगा। इसके बाद बच्चों को स्कूल में पढ़ाई के लिए भेजा जाएगा।
छापामारी में यह टीम रही शामिल
इस अभियान में एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग सेल से एसआई राजेंद्र कुमार, एएसआई जगजीत सिंह व चाइल्डलाइन अंबाला से कोर्डिनेटर अजय तिवारी व टीम सदस्य गजेंद्र, नीरज व रूबल आदि मौजूद रहे।
बच्चे बोले कि सुबह से रात तक करते हैं काम, पैसे ले जाते हैं परिजन
चाइल्डलाइन अंबाला कोआर्डिनेटर अजय तिवारी ने बताया कि बच्चों ने प्राथमिक काउंसलिंग में बताया कि काम करने से लेकर खाना, पीना आदि सब दुकान पर ही करना होता था। काम करने का भी कोई समय नहीं होता था। सुबह से लेकर रात दुकान बंद होने तक काम करते थे। यहां तक कि उन्हें कितने पैसे मिलते हैं उनकी भी जानकारी नहीं होती थी। पैसे सीधा परिवार के सदस्यों को ही दिए जाते थे। टीम ने छह बच्चों को संरक्षण में लिया तो उसी कमरे में बेकरी का काम होता था और वहीं पलंग बिछाकर सोते थे। सुबह उठते ही काम शुरू हो जाता था।