चंडीगढ़। हरियाणा विधानसभा का शीतकालीन सत्र दिसंबर के तीसरे सप्ताह में होने की संभावना है। हालांकि, इसकी आधिकारिक तिथि 1 दिसंबर को होने वाली कैबिनेट की बैठक में तय की जाएगी। इसके बाद राज्यपाल को सत्र बुलाने के लिए प्रस्ताव भेजागा। सत्र की अवधि कार्य सलाहकार समिति की बैठक में तय होगी। यह जानकारी हरियाणा विधानसभा के अध्यक्ष ज्ञानचंद गुप्ता ने दी। वह वीरवार को पत्रकारों से बातचीत कर रहे थे। पंजाब के नेताओं द्वारा चंडीगढ़ में हरियाणा के नए विधानसभा भवन के लिए जमीन नहीं देने पर गुप्ता ने कहा कि इसे राजनीतिक मुद्दा नहीं बनाना चाहिए। यह मामला संवैधानिक संस्था को मजबूत करने का है। अगर पंजाब को लगता है कि वह भी चंडीगढ़ में अपनी नई विधानसभा बनाना चाहे तो बना लें। चंडीगढ़ प्रशासन पंजाब को जमीन दे तो हमें कोई आपत्ति नहीं है। उन्होंने कहा कि इस संबंध में पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने ट्वीट भी किया था कि पंजाब भी विधानसभा का नया भवन बनाएगा। इसलिए इस मामले में विरोध की बजाए सहयोग करना चाहिए।
गुप्ता ने कहा कि इससे पहले भी चंडीगढ़ में पंजाब और हरियाणा के न्यू सचिवालय बन चुके है, इससे किसी को कोई दिक्कत नहीं हुई। चंडीगढ़ केंद्र शासित प्रदेश है, इसलिए यहां किसी का भवन बनने न तो चंडीगढ़ का स्टेटस बदलता है और न ही संबंधित प्रदेश का। चंडीगढ़ में महाराष्ट, हिमाचल समेत अन्य राज्यों के भवन भी बने हुए हैं। उन्होंने कहा कि 2026 में पर्नसीमांकन होना है, इसके बाद 25 से 30 नए विधायकों के बढ़ने की संभावना है। फिलहाल 90 विधायकों के बैठने की व्यवस्था है। भविष्य की जरूरतों को देखते हुए नया भवन बनाया जाना है। क्योंकि जब विधानसभा बनी थी तो उस समय 54 विधायक थे। इसके अलावा, पुराने भवन में कई कठिनाइयां हैं। विधानसभा की कमेटियों, नेता विपक्ष के लिए कमरा नहीं है। इसी प्रकार, मीडिया के लिए उचित व्यवस्था नहीं है। इन्हीं जरूरतों को देखते हुए नये भवन की जरूरत है। एक सवाल के जवाब में स्पीकर गुप्ता ने कहा कि चंडीगढ़ में 60 और 40 का हिस्सा है, लेकिन आज तक हरियाणा को 27 प्रतिशत हिस्सा ही मिला है। 13 प्रतिशत हिस्से के लिए हरियाणा लगातार संघर्ष कर रहा है। लेकिन दुर्भाग्यपूर्ण है कि पंजाब सुनने को तैयार नहीं है।