केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से कहा है कि उसके दिशा-निर्देश व्यक्ति की सहमति के बिना जबरन कोविड -19 टीकाकरण की बात नहीं करते हैं। केंद्र सरकार ने कहा है कि कोविड टीका जरूरी नहीं है। यह लोगों पर निर्भर करता है है वे टीका लेना चाहते हैं या नहीं? केंद्र सरकार अपने रुख को दोहराया कि किसी भी व्यक्ति को उसकी इच्छा के विरुद्ध टीका नहीं लगाया जा सकता है।
इवारा फाउंडेशन द्वारा दायर एक जनहित याचिका के जवाब में दायर हलफनामे में केंद्र ने हालांकि इस बात पर जोर दिया कि कोविड -19 टीकाकरण बड़े सार्वजनिक हित में है और विभिन्न प्रिंट और सोशल मीडिया प्लेटफार्मों के माध्यम से यह संदेश दिया जा रहा है कि सभी नागरिकों को टीकाकरण करवाना चाहिए।
केंद्र ने अपने हलफनामे में कहा है कि भारत सरकार ने कोई एसओपी जारी नहीं किया है जो किसी भी उद्देश्य के लिए टीकाकरण प्रमाण पत्र अनिवार्य बनाता है। सरकार ने यह भी कहा कि उसने कोविड -19 टीकाकरण के लिए परिचालन दिशानिर्देश (ऑपरेशन गाइडलाइन्स) तैयार किया हैं जिसमें कहा गया है कि सभी लाभार्थियों को प्रतिकूल घटनाओं के बारे में सूचित किया जाना है, जो टीका लगाने के बाद हो सकते हैं। केंद्र ने अदालत को यह भी बताया कि पहली और दूसरी खुराक के साथ पात्र लाभार्थियों का 100 फीसदी कवरेज सुनिश्चित करने के लिए पिछले साल तीन नवंबर को एक अभियान 'हर घर दस्तक अभियान' शुरू किया गया था।
केंद्र ने कहा है कि 22 सितंबर, 2021 के अपने पत्र में उसने सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को सलाह दी है कि वे बिस्तर पर पड़े या अत्यधिक प्रतिबंधित गतिशीलता वाले लाभार्थी या दिव्यांगों को विशेष जरूरतों के साथ उनके निवास स्थान पर मोबाइल टीकाकरण टीमों के जरिए टीकाकरण करें।
को-विन एप और पोर्टल को पूरी तरह से सुलभ बनाने के सुझाव के जवाब में केंद्र ने कहा है कि वह विकलांग व्यक्तियों के लिए इसे और अधिक सुलभ बनाने के लिए पहले से ही को-विन पोर्टल में सुविधाओं को लागू कर दिया है।
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केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से कहा है कि उसके दिशा-निर्देश व्यक्ति की सहमति के बिना जबरन कोविड -19 टीकाकरण की बात नहीं करते हैं। केंद्र सरकार ने कहा है कि कोविड टीका जरूरी नहीं है। यह लोगों पर निर्भर करता है है वे टीका लेना चाहते हैं या नहीं? केंद्र सरकार अपने रुख को दोहराया कि किसी भी व्यक्ति को उसकी इच्छा के विरुद्ध टीका नहीं लगाया जा सकता है।
इवारा फाउंडेशन द्वारा दायर एक जनहित याचिका के जवाब में दायर हलफनामे में केंद्र ने हालांकि इस बात पर जोर दिया कि कोविड -19 टीकाकरण बड़े सार्वजनिक हित में है और विभिन्न प्रिंट और सोशल मीडिया प्लेटफार्मों के माध्यम से यह संदेश दिया जा रहा है कि सभी नागरिकों को टीकाकरण करवाना चाहिए।
केंद्र ने अपने हलफनामे में कहा है कि भारत सरकार ने कोई एसओपी जारी नहीं किया है जो किसी भी उद्देश्य के लिए टीकाकरण प्रमाण पत्र अनिवार्य बनाता है। सरकार ने यह भी कहा कि उसने कोविड -19 टीकाकरण के लिए परिचालन दिशानिर्देश (ऑपरेशन गाइडलाइन्स) तैयार किया हैं जिसमें कहा गया है कि सभी लाभार्थियों को प्रतिकूल घटनाओं के बारे में सूचित किया जाना है, जो टीका लगाने के बाद हो सकते हैं। केंद्र ने अदालत को यह भी बताया कि पहली और दूसरी खुराक के साथ पात्र लाभार्थियों का 100 फीसदी कवरेज सुनिश्चित करने के लिए पिछले साल तीन नवंबर को एक अभियान 'हर घर दस्तक अभियान' शुरू किया गया था।
केंद्र ने कहा है कि 22 सितंबर, 2021 के अपने पत्र में उसने सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को सलाह दी है कि वे बिस्तर पर पड़े या अत्यधिक प्रतिबंधित गतिशीलता वाले लाभार्थी या दिव्यांगों को विशेष जरूरतों के साथ उनके निवास स्थान पर मोबाइल टीकाकरण टीमों के जरिए टीकाकरण करें।
को-विन एप और पोर्टल को पूरी तरह से सुलभ बनाने के सुझाव के जवाब में केंद्र ने कहा है कि वह विकलांग व्यक्तियों के लिए इसे और अधिक सुलभ बनाने के लिए पहले से ही को-विन पोर्टल में सुविधाओं को लागू कर दिया है।