अगस्ता वेस्टलैंड हेलीकॉप्टर घोटाला मामले में बिचौलिया रहे क्रिश्चियन जेम्स मिशेल को मंगलवार रात भारत लाया गया। मिशेल का प्रत्यर्पण भारत तभी हो सका जब दुबई कोर्ट ने इसका आदेश दिया। लेकिन सूत्रों का दावा है कि मिशेल के भारत लाए जाने में दुबई की भगोड़ी राजकुमारी लतीफा के भारत द्वारा वापस सौंपे जाने ने अहम भूमिका निभाई है। इस पूरे घटनाक्रम के जानकार इसे फरार राजकुमारी से जोड़कर भी देख रहे हैं।
फरार शेखा लतीफा की रही अहम भूमिका
फरार शेखा लतीफा, यूएई के पीएम और दुबई के राजा शेख मुहम्मद बिन राशिद अल-माकतुम की बेटी हैं, जो इस साल के शुरुआत में दुबई से भाग गई थीं बताते हैं कि वह पिछले सात सालों से भागने की कोशिश कर रही थीं।
राजकुमारी ने दुबई से भागने के लिए बोट का सहारा लिया और वह फ्रांस अमेरिकी हर्व जुआबर्ट की बोट से गोवा तक आ गईं। लेकिन तट से महज 30 मील की दूरी पर उसकी बोट को भारतीय कोस्ट गार्ड ने पकड़ लिया। बताते हैं कि राजकुमारी के पकड़े जाने के बाद भारत सरकार और यूएई के राजा के बीच एक डील हुई।
इसके बाद उसे जबरदस्ती दुबई पहुंचाया गया। दुबई पहुंचाए जाने के बाद बाद से उसे न तो किसी ने देखा है और न ही किसी ने उसके बारे में कोई बात सुनी है। पकड़े जाने से पहले राजकुमारी ने एक विडियो भी जारी किया था जिसमें उसने कहा था, 'अगर आप यह विडियो देख रहे हैं या तो मैं मर चुकी हूं या फिर बहुत बुरी स्थिति में हूं।'
इस मामले ने खूब तूल पकड़ा यहां तक की लतीफा के वकीलों ने यूएन से इस मामले में दखल देने की अपील की और 'राजकुमारी' के गायब होने के पीछे भारत और यूएई को जिम्मेदार भी बताया। एमनेस्टी का आरोप है कि 'भारत के कमांडो ने बोट पर मौजूद सभी लोगों को बंदूक की नोक पर चुप रहने को कहा और शेखा को ले गए, जबकि वह राजनीतिक शरण मांग रही थीं।'
भारत ने 19 महीने पहले प्रत्यर्पण की मांग की थी
सूत्रों की माने तो भारत ने मिशेल के प्रत्यर्पण के लिए करीब 19 महीने पहले यूएई से निवेदन किया था। तब इसे सिरे से खारिज कर दिया था। लेकिन फरार राजकुमारी के पहुंचाए जाने के बाद इस मामले में नाटकीय मोड़ आया और यूएई ने प्रत्यर्पण की सभी कार्रवाई इसी हफ्ते पूरी की है। भारत सरकार ने मिशेल के खिलाफ नवंबर 2015 में रेड कॉर्नर नोटिस जारी किया गया था।
प्रत्यर्पण को लेकर क्या थी दिक्कतें
मिशेल के प्रत्यर्पण को लेकर कई प्रकार की कानूनी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा था। अधिकारी बताते हैं कि मिशेल ब्रिटिश नागरिक हैं। लेकिन एक के बाद एक कड़ी जुड़ती गई और मामला प्रत्यर्पण पर इस तरह पहुंचा। फरार राजकुमारी में भारत की अहम रोल निभाने के बाद भारत और यूएई के संबंधों में गहराई आई। इसका पूरा श्रेय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और यूएई के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन जायद को जाता है। बिन जायद ने मिशेल के प्रत्यर्पण में अहम भूमिका निभाई।
बोफोर्स मामले के बाद भारत को मिली बड़ी कामयाबी
भारत के कई भगोड़े कानून की आड़ में विदेश में मुंह छुपाए हुए हैं। बोफोर्स मामले में क्वात्रोची में भले ही भारत असफल रहा हो लेकिन मिशेल का भारत आना बड़ी कामयाबी के रूप में देखा जा रहा है। यह अपने आप में पहला मौका है जब किसी हाईप्रोफाइल व्यक्ति का प्रत्यर्पण हुआ है। आरोप है कि ब्रिटिश नागरिक मिशेल ने अगस्ता वेस्टलैंड और भारत के बीच 12 वीवीआईपी हेलिकॉप्टर डील कराने के लिए भारतीय वायु सेना के मुखिया रहे एसपी त्यागी सहित कई अधिकारियों, ब्यूरोक्रेट्स और नेताओं को 6000 मिलियन से 4500 मिलियन की डील की है।
अगस्ता वेस्टलैंड हेलीकॉप्टर घोटाला मामले में बिचौलिया रहे क्रिश्चियन जेम्स मिशेल को मंगलवार रात भारत लाया गया। मिशेल का प्रत्यर्पण भारत तभी हो सका जब दुबई कोर्ट ने इसका आदेश दिया। लेकिन सूत्रों का दावा है कि मिशेल के भारत लाए जाने में दुबई की भगोड़ी राजकुमारी लतीफा के भारत द्वारा वापस सौंपे जाने ने अहम भूमिका निभाई है। इस पूरे घटनाक्रम के जानकार इसे फरार राजकुमारी से जोड़कर भी देख रहे हैं।
फरार शेखा लतीफा की रही अहम भूमिका
फरार शेखा लतीफा, यूएई के पीएम और दुबई के राजा शेख मुहम्मद बिन राशिद अल-माकतुम की बेटी हैं, जो इस साल के शुरुआत में दुबई से भाग गई थीं बताते हैं कि वह पिछले सात सालों से भागने की कोशिश कर रही थीं।
राजकुमारी ने दुबई से भागने के लिए बोट का सहारा लिया और वह फ्रांस अमेरिकी हर्व जुआबर्ट की बोट से गोवा तक आ गईं। लेकिन तट से महज 30 मील की दूरी पर उसकी बोट को भारतीय कोस्ट गार्ड ने पकड़ लिया। बताते हैं कि राजकुमारी के पकड़े जाने के बाद भारत सरकार और यूएई के राजा के बीच एक डील हुई।
इसके बाद उसे जबरदस्ती दुबई पहुंचाया गया। दुबई पहुंचाए जाने के बाद बाद से उसे न तो किसी ने देखा है और न ही किसी ने उसके बारे में कोई बात सुनी है। पकड़े जाने से पहले राजकुमारी ने एक विडियो भी जारी किया था जिसमें उसने कहा था, 'अगर आप यह विडियो देख रहे हैं या तो मैं मर चुकी हूं या फिर बहुत बुरी स्थिति में हूं।'
इस मामले ने खूब तूल पकड़ा यहां तक की लतीफा के वकीलों ने यूएन से इस मामले में दखल देने की अपील की और 'राजकुमारी' के गायब होने के पीछे भारत और यूएई को जिम्मेदार भी बताया। एमनेस्टी का आरोप है कि 'भारत के कमांडो ने बोट पर मौजूद सभी लोगों को बंदूक की नोक पर चुप रहने को कहा और शेखा को ले गए, जबकि वह राजनीतिक शरण मांग रही थीं।'
christian michel
- फोटो : social media
भारत ने 19 महीने पहले प्रत्यर्पण की मांग की थी
सूत्रों की माने तो भारत ने मिशेल के प्रत्यर्पण के लिए करीब 19 महीने पहले यूएई से निवेदन किया था। तब इसे सिरे से खारिज कर दिया था। लेकिन फरार राजकुमारी के पहुंचाए जाने के बाद इस मामले में नाटकीय मोड़ आया और यूएई ने प्रत्यर्पण की सभी कार्रवाई इसी हफ्ते पूरी की है। भारत सरकार ने मिशेल के खिलाफ नवंबर 2015 में रेड कॉर्नर नोटिस जारी किया गया था।
प्रत्यर्पण को लेकर क्या थी दिक्कतें
मिशेल के प्रत्यर्पण को लेकर कई प्रकार की कानूनी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा था। अधिकारी बताते हैं कि मिशेल ब्रिटिश नागरिक हैं। लेकिन एक के बाद एक कड़ी जुड़ती गई और मामला प्रत्यर्पण पर इस तरह पहुंचा। फरार राजकुमारी में भारत की अहम रोल निभाने के बाद भारत और यूएई के संबंधों में गहराई आई। इसका पूरा श्रेय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और यूएई के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन जायद को जाता है। बिन जायद ने मिशेल के प्रत्यर्पण में अहम भूमिका निभाई।
बोफोर्स मामले के बाद भारत को मिली बड़ी कामयाबी
भारत के कई भगोड़े कानून की आड़ में विदेश में मुंह छुपाए हुए हैं। बोफोर्स मामले में क्वात्रोची में भले ही भारत असफल रहा हो लेकिन मिशेल का भारत आना बड़ी कामयाबी के रूप में देखा जा रहा है। यह अपने आप में पहला मौका है जब किसी हाईप्रोफाइल व्यक्ति का प्रत्यर्पण हुआ है। आरोप है कि ब्रिटिश नागरिक मिशेल ने अगस्ता वेस्टलैंड और भारत के बीच 12 वीवीआईपी हेलिकॉप्टर डील कराने के लिए भारतीय वायु सेना के मुखिया रहे एसपी त्यागी सहित कई अधिकारियों, ब्यूरोक्रेट्स और नेताओं को 6000 मिलियन से 4500 मिलियन की डील की है।