न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Updated Mon, 11 Feb 2019 06:01 AM IST
सोमवार यानी आज अंतरराष्ट्रीय मिर्गी दिवस है। चिकित्सीय विज्ञान में मिर्गी को न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर भी कहा जाता है। भारत में इस बीमारी से करीब सवा करोड़ लोग पीड़ित हैं। बावजूद इसके मिर्गी को लेकर लोगों में तरह-तरह की भ्रांतियों के कारण उपचार नहीं मिल पाता। विशेषज्ञों की मानें तो इन्हीं भ्रांतियों की वजह से मिर्गी का मरीज मौत का शिकार हो जाता है। अगर वह इन अर्थहीन बातों पर ध्यान न दे तो वह समय पर उपचार ले सकता है। दिल्ली के सरकारी से लेकर निजी अस्पताल तक में आए दिन इन बीमारियों से ग्रस्त मरीज उपचार के लिए पहुंचते हैं, लेकिन डॉक्टरों का कहना है कि इनमें से कुछ ही मरीजों को छोड़ बाकी काफी देरी से इलाज लेने पहुंच रहे हैं।
दिल्ली सरकार के जीबी पंत अस्पताल के विशेषज्ञ डॉ. दलजीत सिंह का कहना है कि मिर्गी से पीड़ित मरीजों का सामाजिक बहिष्कार नहीं किया जाना चाहिए। गलत जानकारियों के कारण सैकड़ों मरीज कष्ट भोग रहे हैं। जागरूकता की कमी इन मरीजों की उपचार से जुड़ी जटिलताओं को बढ़ा रही है। वहीं अग्रसेन अस्पताल के न्यूरोलॉजिस्ट डॉ. आशुतोष गुप्ता का कहना है कि अंतरराष्ट्रीय मिर्गी दिवस इसलिए मनाया जाता है ताकि रोगियों की परेशानियों को रेखांकित कर उन्हें उपचार दिया जा सके। बीमारी के प्रति लोगों में जागरूकता लाना बेहद जरूरी है।
रोहिणी स्थित जयपुर गोल्डन अस्पताल की डॉ. श्रुति जैन कुछ केस स्टडी का हवाला देते हुए बताती हैं कि मिर्गी मस्तिष्क से संबंधित एक रोग है, जिसमें बार-बार दौरे पड़ते हैं। इनकी अवधि अधिक नहीं होती। जब मस्तिष्क की तंत्रिका कोशिकाएं विद्युतीय आवेशों को तेज गति से छोड़ती हैं, तो इसके कारण विद्युतीय तूफान यानी दौरे पड़ना शुरू होता है। जो लोग मिर्गी से पीड़ित हैं, उन्हें अपनी स्थिति छिपाना नहीं चाहिए।
वीडियो बनाना है जरूरी
डॉक्टरों का कहना है कि मिर्गी के मरीज के साथ-साथ उसके परिवार को भी बीमारी के प्रति पूरी जानकारी होनी चाहिए। अगर किसी को दौरे पड़ने की परेशानी है तो उसके परिजनों को तत्काल मोबाइल फोन में दौरे पड़ने के दौरान का वीडियो बना लेना चाहिए। इस वीडियो के जरिए इलाज करने वाले डॉक्टर को मरीज की स्थिति पता करने में आसानी हो सकती है।
80 फीसदी मरीज दवाओं से हो रहे ठीक
जीबी पंत अस्पताल के डॉ. दलजीत सिंह का कहना है कि जन्म के समय चोट लगने, सड़क दुर्घटना या किसी तरह के संक्रमण के कारण भी दौरे पड़ने की परेशानी हो सकती है। चूंकि चिकित्सीय क्षेत्र में नई तकनीकें आने से अब इसका उपचार आसान हो गया है। इसलिए दिल्ली के अस्पतालों में पहुंच रहे करीब 80 फीसदी मरीज दवाओं से ही ठीक हो रहे हैं। बहुत कम मरीजों को सर्जरी या अन्य उपचार की जरूरत पड़ती है।
इस तरह रखें सावधानी
डॉक्टरों का कहना है कि अगर किसी को मिर्गी आती है तो जरूरी है कि उसके मुंह में कुछ न डाला जाए। उसे नीचे लेटा दें या उसकी शारीरिक गतिविधियों को सीमित करने का प्रयास करें। भींचे हुए दांतों को बलपूर्वक खोलने का प्रयास करें। नाक के पास जूते, चप्पल या प्याज लाएं। साथ ही उसके आसपास भारी वस्तुएं नहीं होनी चाहिए।
सोमवार यानी आज अंतरराष्ट्रीय मिर्गी दिवस है। चिकित्सीय विज्ञान में मिर्गी को न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर भी कहा जाता है। भारत में इस बीमारी से करीब सवा करोड़ लोग पीड़ित हैं। बावजूद इसके मिर्गी को लेकर लोगों में तरह-तरह की भ्रांतियों के कारण उपचार नहीं मिल पाता। विशेषज्ञों की मानें तो इन्हीं भ्रांतियों की वजह से मिर्गी का मरीज मौत का शिकार हो जाता है। अगर वह इन अर्थहीन बातों पर ध्यान न दे तो वह समय पर उपचार ले सकता है। दिल्ली के सरकारी से लेकर निजी अस्पताल तक में आए दिन इन बीमारियों से ग्रस्त मरीज उपचार के लिए पहुंचते हैं, लेकिन डॉक्टरों का कहना है कि इनमें से कुछ ही मरीजों को छोड़ बाकी काफी देरी से इलाज लेने पहुंच रहे हैं।
दिल्ली सरकार के जीबी पंत अस्पताल के विशेषज्ञ डॉ. दलजीत सिंह का कहना है कि मिर्गी से पीड़ित मरीजों का सामाजिक बहिष्कार नहीं किया जाना चाहिए। गलत जानकारियों के कारण सैकड़ों मरीज कष्ट भोग रहे हैं। जागरूकता की कमी इन मरीजों की उपचार से जुड़ी जटिलताओं को बढ़ा रही है। वहीं अग्रसेन अस्पताल के न्यूरोलॉजिस्ट डॉ. आशुतोष गुप्ता का कहना है कि अंतरराष्ट्रीय मिर्गी दिवस इसलिए मनाया जाता है ताकि रोगियों की परेशानियों को रेखांकित कर उन्हें उपचार दिया जा सके। बीमारी के प्रति लोगों में जागरूकता लाना बेहद जरूरी है।
इस तरह पड़ने लगते हैं दौरे
रोहिणी स्थित जयपुर गोल्डन अस्पताल की डॉ. श्रुति जैन कुछ केस स्टडी का हवाला देते हुए बताती हैं कि मिर्गी मस्तिष्क से संबंधित एक रोग है, जिसमें बार-बार दौरे पड़ते हैं। इनकी अवधि अधिक नहीं होती। जब मस्तिष्क की तंत्रिका कोशिकाएं विद्युतीय आवेशों को तेज गति से छोड़ती हैं, तो इसके कारण विद्युतीय तूफान यानी दौरे पड़ना शुरू होता है। जो लोग मिर्गी से पीड़ित हैं, उन्हें अपनी स्थिति छिपाना नहीं चाहिए।
वीडियो बनाना है जरूरी
डॉक्टरों का कहना है कि मिर्गी के मरीज के साथ-साथ उसके परिवार को भी बीमारी के प्रति पूरी जानकारी होनी चाहिए। अगर किसी को दौरे पड़ने की परेशानी है तो उसके परिजनों को तत्काल मोबाइल फोन में दौरे पड़ने के दौरान का वीडियो बना लेना चाहिए। इस वीडियो के जरिए इलाज करने वाले डॉक्टर को मरीज की स्थिति पता करने में आसानी हो सकती है।
80 फीसदी मरीज दवाओं से हो रहे ठीक
जीबी पंत अस्पताल के डॉ. दलजीत सिंह का कहना है कि जन्म के समय चोट लगने, सड़क दुर्घटना या किसी तरह के संक्रमण के कारण भी दौरे पड़ने की परेशानी हो सकती है। चूंकि चिकित्सीय क्षेत्र में नई तकनीकें आने से अब इसका उपचार आसान हो गया है। इसलिए दिल्ली के अस्पतालों में पहुंच रहे करीब 80 फीसदी मरीज दवाओं से ही ठीक हो रहे हैं। बहुत कम मरीजों को सर्जरी या अन्य उपचार की जरूरत पड़ती है।
इस तरह रखें सावधानी
डॉक्टरों का कहना है कि अगर किसी को मिर्गी आती है तो जरूरी है कि उसके मुंह में कुछ न डाला जाए। उसे नीचे लेटा दें या उसकी शारीरिक गतिविधियों को सीमित करने का प्रयास करें। भींचे हुए दांतों को बलपूर्वक खोलने का प्रयास करें। नाक के पास जूते, चप्पल या प्याज लाएं। साथ ही उसके आसपास भारी वस्तुएं नहीं होनी चाहिए।