चंद्रबाबू नायडू आंध्रप्रदेश को विशेष राज्य का दर्जा दिलाने की मांग को लेकर दिल्ली में इस समय एक दिवसीय भूख हड़ताल पर बैठे हैं। उन्हें समर्थन देने के लिए कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी, पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, फारुक अब्दुल्ला, शरद पवार, डेरेक ओ ब्रायन, मुलायम सिंह और शरद यादव पहुंच चुके हैं। इस धरने के बहाने विपक्ष एक बार फिर यह एहसास कराने में सफल रहा है कि वह अपने तमाम अंतर्विरोधों के बावजूद वर्तमान सरकार को हटाने के लिए एक साथ, एक मंच पर आने को तैयार है, उनके लिए पीएम का चेहरा अहम मुद्दा नहीं है।
भाजपा विपक्ष को महागठबंधन के 'नेतृत्व' या प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार के मुद्दे पर लगातार घेर रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गठबंधन को महामिलावट करार दे रहे हैं तो भाजपा अध्यक्ष अमित शाह यह कहकर तंज कसते हैं कि अगर विपक्ष की सरकार बनी तो हर दिन एक नया प्रधानमंत्री बनेगा। लेकिन विपक्ष की 'आवाज' सुनने की कोशिश करें तो लगता है कि उसने इस समस्या का हल खोज लिया है।
चंद्रबाबू नायडू के धरना स्थल से सरकार को यह जवाब देने की कोशिश भी की गई कि नेतृत्व का सवाल विपक्ष के लिए ज्यादा मायने नहीं रखता क्योंकि इतिहास में ऐसे कई मौके आए हैं जब विपक्ष ने चुनाव बाद प्रधानमंत्री का उम्मीदवार तय किया है। शरद यादव ने चंद्रबाबू नायडू के मंच से कहा कि वीपी सिंह हों या एचडी देवेगौड़ा, इंद्र कुमार गुजराल रहे हों या चंद्रशेखर, समय-समय पर प्रधानमंत्री पद के लिए सही व्यक्ति को सामने लाया जा चुका है और इस बार भी ऐसा ही होगा।
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने भी रविवार को इसी तरह का संदेश दिया था। चुनाव बाद पीएम कौन बनेगा, इस सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि परिस्थितियां इस तरह की बन रही हैं कि इस बार कोई गैर कांग्रेसी और गैर भाजपाई व्यक्ति प्रधानमंत्री बन सकता है। यानी चुनाव के समय सभी दलों की कोशिश होगी कि वे ज्यादा से ज्यादा सीटें हासिल करें जिससे चुनाव बाद के समीकरणों में अपने लिए बेहतर डील की जा सके।
इस जवाब में यूपी के सपा-बसपा गठबंधन में कांग्रेस को जगह न मिल पाने की वजह भी साफ दिखाई पड़ जाती है। अगर विपक्ष की यह सोच कामयाब होती है तो फिलहाल राहुल गांधी को पीएम बनने के लिए अभी और इंतजार करना पड़ सकता है।
चंद्रबाबू नायडू आंध्रप्रदेश को विशेष राज्य का दर्जा दिलाने की मांग को लेकर दिल्ली में इस समय एक दिवसीय भूख हड़ताल पर बैठे हैं। उन्हें समर्थन देने के लिए कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी, पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, फारुक अब्दुल्ला, शरद पवार, डेरेक ओ ब्रायन, मुलायम सिंह और शरद यादव पहुंच चुके हैं। इस धरने के बहाने विपक्ष एक बार फिर यह एहसास कराने में सफल रहा है कि वह अपने तमाम अंतर्विरोधों के बावजूद वर्तमान सरकार को हटाने के लिए एक साथ, एक मंच पर आने को तैयार है, उनके लिए पीएम का चेहरा अहम मुद्दा नहीं है।
भाजपा विपक्ष को महागठबंधन के 'नेतृत्व' या प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार के मुद्दे पर लगातार घेर रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गठबंधन को महामिलावट करार दे रहे हैं तो भाजपा अध्यक्ष अमित शाह यह कहकर तंज कसते हैं कि अगर विपक्ष की सरकार बनी तो हर दिन एक नया प्रधानमंत्री बनेगा। लेकिन विपक्ष की 'आवाज' सुनने की कोशिश करें तो लगता है कि उसने इस समस्या का हल खोज लिया है।
चंद्रबाबू नायडू के धरना स्थल से सरकार को यह जवाब देने की कोशिश भी की गई कि नेतृत्व का सवाल विपक्ष के लिए ज्यादा मायने नहीं रखता क्योंकि इतिहास में ऐसे कई मौके आए हैं जब विपक्ष ने चुनाव बाद प्रधानमंत्री का उम्मीदवार तय किया है। शरद यादव ने चंद्रबाबू नायडू के मंच से कहा कि वीपी सिंह हों या एचडी देवेगौड़ा, इंद्र कुमार गुजराल रहे हों या चंद्रशेखर, समय-समय पर प्रधानमंत्री पद के लिए सही व्यक्ति को सामने लाया जा चुका है और इस बार भी ऐसा ही होगा।
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने भी रविवार को इसी तरह का संदेश दिया था। चुनाव बाद पीएम कौन बनेगा, इस सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि परिस्थितियां इस तरह की बन रही हैं कि इस बार कोई गैर कांग्रेसी और गैर भाजपाई व्यक्ति प्रधानमंत्री बन सकता है। यानी चुनाव के समय सभी दलों की कोशिश होगी कि वे ज्यादा से ज्यादा सीटें हासिल करें जिससे चुनाव बाद के समीकरणों में अपने लिए बेहतर डील की जा सके।
इस जवाब में यूपी के सपा-बसपा गठबंधन में कांग्रेस को जगह न मिल पाने की वजह भी साफ दिखाई पड़ जाती है। अगर विपक्ष की यह सोच कामयाब होती है तो फिलहाल राहुल गांधी को पीएम बनने के लिए अभी और इंतजार करना पड़ सकता है।