ईरान में जन्मे शेख सादी (शेख मुसलिदुद्दीन सादी) फारसी भाषा के सुप्रसिद्ध कवि थे। वर्ष 1258 ईस्वी में उन्होंने गद्य में 'गुलिस्तां' नामक कृति लिखी, जिसमें संपूर्ण मानव जाति के लिए कई तरह की सलाह हैं।
फरीदूं के महल की दीवार पर लिखा था- 'ऐ भाई! दुनिया ने कभी किसी का साथ नहीं दिया। तू दुनिया को बनाने वाले से दिल लगा और संतोष कर। दुनिया की हुकूमत पर भरोसा न कर।' नीच को सुधारने में तू अपना समय नष्ट मत कर। दुष्ट व्यक्ति को सुधारना ऐसा ही है, जैसे गोल गुबंद पर अखरोट रोकने की कोशिश। दुष्ट के साथ भलाई करना, उतना ही बुरा है, जितना सज्जनों के साथ दुष्टता करना। माफ कर देना एक अच्छी बात है, लेकिन दुनिया को सताने वाले के जख्म पर मरहम नहीं लगाना चाहिए। जिस मेहरबान ने कदम-कदम पर तुझ पर मेहरबानी की हो, यदि वह तमाम उम्र में तुझ पर एक जुल्म भी कर दे, तो उसे माफ कर देना चाहिए। हकीम लुकमान से लोगों ने पूछा, 'तूने अदब किससे सीखा?' वे बोले, 'बे-अदबों से।' लोगों ने पूछा, 'वह कैसे?'
उन्होंने उत्तर दिया, 'बे-अदबों की, जो बातें मुझे नापसंद थीं, उन्हें मैं छोड़ता गया।' लोग तुझे अच्छा कहें और तू बुरा हो, इससे तो कहीं अच्छा है कि तू नेक बन, भले ही लोग तुझे बुरा कहें। संसार की हर चीज उसी पैदा करने वाले का नाम ले-लेकर शोर मचा रही है, लेकिन इसे सुनता वही है, जिसके कान सुन सकते हों। मैंने अरब के एक देहाती को देखा, जो अपने बेटे से कह रहा था, 'ऐ बेटे! तुझसे कयामत के दिन यह पूछा जाएगा कि तूने क्या किया, यह नहीं कि तू किस खानदान से है। तेरे कर्मों का हिसाब तुझसे लिया जाएगा, तुझसे कोई यह नहीं पूछेगा कि तेरा बाप कौन है?' जालिम बादशाह हुकूमत नहीं कर सकता। भेड़िये से चरवाहे का काम नहीं लिया जा सकता।
जिस बादशाह ने जुल्म करना शुरू कर दिया, उसने तो मानो अपने शासन की जड़ ही उखाड़ दी। सच्चाई खुदा को खुश रखने का जरिया है। मैंने कभी किसी सच्चे आदमी को भटकते नहीं देखा। बेशक तुझमें होशियारी, दूरंदेशी, सच्चाई और ईमानदारी जैसे सब गुण हैं, लेकिन जलने वाले दुश्मन तो इसी ताक में रहते हैं कि कब मौका मिले और कब तुझे गिराएं। मुसीबत के मारे इंसान को रोना-चिल्लाना नहीं चाहिए, क्योंकि हर जगह खुदा की मेहरबानियां छिपी रहती हैं। तकदीर, तख्त, बादशाही शान-शौकत, हुक्म, रोब और पकड़-धकड़, ये चीजें टिकने वाली नहीं, इसलिए किसी काम की नहीं। संसार की हर चीज उसी पैदा करने वाले का नाम ले-लेकर शोर मचा रही है, लेकिन सुनता वही है, जिसके कान सुन सकते हैं। चाहे कोई फकीर हो, पीर हो, मुरीद हो या शायर।
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उन्होंने उत्तर दिया...
4 years ago
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