शीत लहर करे किनारा
एक ऋतु चली आयी
खेतों में पीली सरसों लहरायी
धरती दिखे पीली माई
पीला वस्त्र,अन्न की रीति आयी।
बसंत पर्व मनाने की नीति आयी।
ब्रह्मा जी ने सृष्टि रचाई
बन्य,जीव जन्तु,मनुष की उत्पत्ति हुई।
ब्रह्मा जी को कुछ कमी महसूस हुई
कमंडल से निकाल जल छिड़का धरती पर वीणा,पुस्तक,माला,वर मुद्रा लिये हुए
चार हाथ वाली सुन्दर स्त्री प्रकट हुई
ब्रह्मा जी ने वीणा बजाने का कियाअनुरोध
वीणा सुन स्वर से,खुशी की लहर आयी।
बन्य,जीव जन्तु,मनुष्य को खुश देख
ब्रह्मा जी ने प्रकट हुई स्त्री को दिया नाम
"सरस्वती"संबोधित कर किया सम्मान
सरस्वती का जन्म दिन मनाने की रीति आयी।
बसंत ऋतु आयी,खुशी की लहर आयी।
अरविन्द कुमार शर्मा
पश्चिमपुरी
आगरा।
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