कभी-कभी सोचता हूँ
मिटा दूँगा तुम्हे अपनी ज़िंदगी से.
मगर, अब तुम बन के स्याही मेरी रगों में दौड़ती हो
में लिखता हूँ तो लिखता हूँ बस तुम्हारे बारे
में सोचता हूँ तो सोचता हूँ बस तुम्हारे बारे
पर एक दिन मिटा दूँगा तुम्हें अपनी ज़िंदगी से
सोचता हूँ कभी-कभी।
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6 months ago
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