शायद ही कोई ऐसा होगा जिसके कानों में आनंद बख्शी के गाने न पड़े हों। उन्होंने फ़िल्मी संगीत की धुनों को अपने जादुई भरे बोल दिए। 1945 से लेकर 2002 तक उन्होंने सिनेमा को लफ़्ज़ों ने नवाज़ा है। उनके लिखे कुछ ख़ास बोल यहां पढ़ें।
चरस (1976)
anand bakshiPC: anand bakshi
दिल इंसान का एक तराजू जो इंसाफ़ को तौले
अपनी जगह पर प्यार है क़ायम धरती-अम्बर डोले
बेशक़ मंदिर-मस्जिद तोड़ो
बुल्ले शाह ये कहता
पर प्यार भरा दिल कभी न तोड़ो
इस दिल में दिलबर रहता
गदर - एक प्रेम कथा (2001)
बड़ी मुश्किल से दिल में अपने
लोग बसाते हैं कुछ सपने
ये सपने शीशे के खिलौने
टूट के बस लगते हैं रोने
लोग मरते हैं मौत आने से
हमको इस ज़िंदगी ने मारा है
आदमी जो कहता है, आदमी जो सुनता है
ज़िंदगी भर वो सदायें पीछा करती हैं
अपनों को जो ठुकराएगा
ग़ैरों की ठोकरें खाएगा
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चरस (1976)
3 years ago
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