हिंदी की कवि महादेवी वर्मा की मुलाकात एक कार्यक्रम में सुमित्रानंदन पंत से हुई। पंत जी ने जैसे ही अपना नाम बताया महादेवी बुरी तरह हंसने लगीं। अपनी किताब 'पथ के साथी' में महादेवी लिखती हैं कि वो पूरी अशिष्टता से हंसे जा रही थी।
असल बात यह थी कि महादेवी को भी सुमित्रानंदन पंत के बारे में वही भ्रम था जो काफी समय तक बहुतों को रहा। महादेवी भी अन्य लोगों की तरह सुमित्रा जी को महिला समझती थीं। छल्लेदार लंबे बाल, गोरे रंग और कोमल हाव-भाव के चलते ऐसा भी हुआ है जब पंत जी को किसी ने मेमसाहब कह दिया हो।
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असल बात यह थी कि...
1 year ago
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