बस एक शाम का हर शाम इंतिज़ार रहा
मगर वो शाम किसी शाम भी नहीं आई
- अजमल सिराज
सुब्ह ये फ़िक्र कि हो जाए शाम
शाम को ये कि सहर हो जाए
- अब्दुल मजीद हैरत
हर एक शाम सँवर जाएगी मिरी 'मोहसिन'
हर एक बात तुम्हारी है शाइ'री की तरह
- दाऊद मोहसिन
होती है शाम आँख से आँसू रवाँ हुए
ये वक़्त क़ैदियों की रिहाई का वक़्त है
- अहमद मुश्ताक़
शाम को तेरा हँस कर मिलना
दिन भर की उजरत होती है
- इशरत आफ़रीं
शाम से आँख में नमी सी है
आज फिर आप की कमी सी है
- गुलज़ार
शाम के धुँधलकों में डूबता है यूँ सूरज
जैसे आरज़ू कोई मेरे दिल में मरती है
- अतीक़ अंज़र
सुब्ह लेता हूँ शाम लेता हूँ
हर घड़ी तेरा नाम लेता हूँ
- बरतर मदरासी
भटकी है उजालों में नज़र शाम से पहले
ये शाम ढले का सा असर शाम से पहले
- सज्जाद बाबर
शाम से गहरा चाँद से उजला एक ख़याल
रात हुई और फिर आ पहुँचा एक ख़याल
- सऊद उस्मानी
आगे पढ़ें
2 months ago
कमेंट
कमेंट X