{"_id":"63862ce044f218497250d883","slug":"mp-news-read-many-big-news-of-jabalpur-high-court-in-one-click","type":"story","status":"publish","title_hn":"MP News: एक क्लिक में पढ़ें अदालत की कई बड़ी खबरें...","category":{"title":"City & states","title_hn":"शहर और राज्य","slug":"city-and-states"}}
MP News: एक क्लिक में पढ़ें अदालत की कई बड़ी खबरें...
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, जबलपुर
Published by: अरविंद कुमार
Updated Tue, 29 Nov 2022 09:32 PM IST
सार
लेटेस्ट अपडेट्स के लिए फॉलो करें
मध्यप्रदेश में जबलपुर हाईकोर्ट ने आज यानी मंगलवार को कई बड़े फैसलों पर सुनवाई की है। कोर्ट ने पुलिस भर्ती में महिला आरक्षण सहित कई बड़े मुद्दों पर सुनवाई की। आइए जानते हैं विस्तार से...
पुलिस भर्ती में 33 प्रतिशत महिला आरक्षण लागू नहीं किए जाने को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई थी। हाईकोर्ट जस्टिस नंदिता दुबे की एकलपीठ ने सुनवाई के बाद 33 प्रतिशत पद अंतिम आदेश के अधीन रहने के आदेश जारी किए हैं। एकलपीठ ने अनावेदकों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है।
चेतना वघेल सहित अन्य 30 की तरफ से दायर याचिका में कहा गया था, एमपी पुलिस में साल 2000 में छह हजार पदों के लिए नियुक्तियां निकाली गई थी। नियुक्ति के लिए लिखित परीक्षा, फिजिकल टेस्ट वर डॉक्यूमेंट वेरिफिकेशन की प्रक्रिया पूरी हो गयी है। प्रदेश सरकार की ओर से पुलिस भर्ती में 33 प्रतिशत महिला आरक्षण लागू नहीं किया गया है। संवैधानिक प्रावधान के तहत महिला को 33 प्रतिशत आरक्षण प्रदान किया जाना चाहिए था।
याचिका की सुनवाई के दौरान 30 महिलाओं ने इंटरविनर बनने का आवेदन किया था। एकलपीठ ने उन्हें नई याचिका दायर करने की स्वतंत्रता प्रदान करने हुए आवेदन को खारिज कर दिया। एकलपीठ ने अपने आदेश में कहा है कि 33 प्रतिशत महिला आरक्षण के निर्धारित पद याचिका में अंतिम आदेश के अधीन रहेंगे। एकलपीठ ने राज्य सरकार, डीजीपी, एडीजीपी और व्यवसायिक परीक्षा बोर्ड को नोटिस जारी करते हुए तीन सप्ताह में जवाब मांगा है। याचिकाकर्ताओं की तरफ से अधिवक्ता दिनेश कुमार ने पैरवी की।
धार्मिक स्थलों के मामले में हाईकोर्ट सख्त...
रोड किनारे और सार्वजनिक स्थलों पर अवैध रूप से बने धार्मिक स्थलों के मामले को हाईकोर्ट ने काफी सख्ती से लिया। चीफ जस्टिस रवि विजय मलिमठ और जस्टिस विशाल मिश्रा की युगलपीठ ने मंगलवार को सुनवाई दौरान कहा, चूंकि अभी तक आदेश का पालन नहीं किया गया है और सरकार हर पेशी में समय मांगती रही है। अगले सुनवाई में सभी अधिकारियों के ऊपर अवमानना की कार्यवाही शुरू कर चार्ज पर सुनवाई होगी। युगलपीठ ने मामले की अगली सुनवाई 6 दिसंबर को निर्धारित की है।
उल्लेखनीय है कि सतना बिल्डिंग निवासी सतीश वर्मा की ओर से साल 2014 में उक्त अवमानना दायर की थी। सर्वोच्च न्यायालय के निर्देश पर हाईकोर्ट ने भी साल 2018 में स्वतरू संज्ञान लेते हुए मामले की सुनवाई जनहित याचिका के रूप में करने के निर्देश दिए थे। याचिकाओं पर पूर्व में संयुक्त रूप से हुई सुनवाई के दौरान युगलपीठ को बताया गया कि सार्वजनिक स्थलों और सड़क किनारे बने अवैध धार्मिक स्थलों को हटाने के आदेश का पूर्णत: पालन नहीं किया गया है। रोड चौड़ीकरण, नाली निर्माण या फुटपाथ में 64 अवैध धार्मिक स्थल बाधक बने हुए हैं। जिला कलेक्टर राजनीति दवाब के कारण अवैध धार्मिक स्थलों को हटाने से पीछे हट रहे हैं। कैंटोनमेंट और रेलवे और आर्मी एरिया के भी अवैध धार्मिक स्थल कलेक्टर जबलपुर की उदासीनता के कारण नही हटाए जा सके हैं। हटाए गए 11 अवैध धार्मिक स्थलों का पुनरू निर्माण किया जा रहा है।
वहीं, सरकार की ओर से अवैध धार्मिक स्थलों को हटाने की रिपोर्ट पेश की गई थी। युगलपीठ को बताया गया, कोविड के कारण कार्यवाही रोक दी गई थी, जिसे दोबारा प्रारंभ किया जाएगा। युगलपीठ ने सरकार को कार्यवाही के लिए चार सप्ताह का समय प्रदान किया था। मामले में मंगलवार को सुनवाई दौरान याचिकाकर्ता अधिवक्ता सतीश वर्मा ने बताया, अवमानना याचिका 2014 से लंबित है और अभी तक सड़क किनारे और सरकारी जमीन पर बने मंदिर मजार हटाए नहीं जा सके हैं और कलेक्टर जबलपुर इस मामले उम राजनैतिक दबाव में कार्यवाही नहीं कर रहे हैं और पुराने हटाना तो दूर नए-नए और बना दिए गए हैं, जिसकी शिकायत करने पर भी कार्यवाही नहीं की जाती है। कुछ स्थानों पर फ्लाई ओवर और चौराहों का विस्तारीकरण रूका पड़ा है। कैंटोनमेंट बोर्ड की ओर से न्यायालय को बताया गया कि कैंट में बचे हुए धर्म स्थल हटाने के लिए बार-बार लिखा गया कलेक्टर को परंतु समय पर मजिस्ट्रेट और पुलिस बल नहीं दिया गया है, जिस पर सख्त रूख अपनाते हुए न्यायालय ने आदेश जारी किए हैं। मामले में आवेदक ने स्वयं अपना पक्ष रखा।
विज्ञापन
सरकारी जमीन में बना रहे मंदिर...
जिला शिक्षा अधिकारी द्वारा सरकारी जमीन पर मंदिर बनाए जाने को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई थी। याचिका की सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस रवि विजय कुमार मलिमठ और जस्टिस विशाल मिश्रा की युगलपीठ ने अनावेदकों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। याचिका पर अगली सुनवाई 2 दिसंबर को निर्धारित की गई है।
याचिकाकर्ता अधिवक्ता राजेन्द्र कुमार गुप्ता की तरफ से दायर की गई याचिका में कहा गया था कि जिला न्यायालय के गेट नंबर-4 और हाईकोर्ट पार्किंग के बीच कॉरिडोर है। जिला शिक्षा अधिकारी इसी कॉरिडोर की सरकारी जमीन में मंदिर का निर्माण करवा रहे हैं। मंदिर का निर्माण जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय के सामने किया जा रहा है।
याचिका में सर्वोच्च न्यायालय और उच्च न्यायालय के आदेश का हवाला देते हुए कहा गया था कि सरकारी जमीन में बनने गए धार्मिक स्थल अवैध हैं। इस संबंध में शिकायत करने के बावजूद भी कोई कार्यवाही नहीं किए जाने के खिलाफ उक्त याचिका दायर की गई है। याचिका की सुनवाई के बाद युगलपीठ ने संभागीय कमीशन, जिला कलेक्टर, पुलिस अधीक्षक, निगमायुक्त और जिला शिक्षा अधिकारी को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। याचिकाकर्ता की तरफ से अधिवक्ता ग्रीष्म जैन ने पैरवी की।
विज्ञापन
विज्ञापन
रहें हर खबर से अपडेट, डाउनलोड करें Android Hindi News App, iOS Hindi News App और Amarujala Hindi News APP अपने मोबाइल पे| Get all India News in Hindi related to live update of politics, sports, entertainment, technology and education etc. Stay updated with us for all breaking news from India News and more news in Hindi.
विज्ञापन
विज्ञापन
एड फ्री अनुभव के लिए अमर उजाला प्रीमियम सब्सक्राइब करें
Disclaimer
हम डाटा संग्रह टूल्स, जैसे की कुकीज के माध्यम से आपकी जानकारी एकत्र करते हैं ताकि आपको बेहतर और व्यक्तिगत अनुभव प्रदान कर सकें और लक्षित विज्ञापन पेश कर सकें। अगर आप साइन-अप करते हैं, तो हम आपका ईमेल पता, फोन नंबर और अन्य विवरण पूरी तरह सुरक्षित तरीके से स्टोर करते हैं। आप कुकीज नीति पृष्ठ से अपनी कुकीज हटा सकते है और रजिस्टर्ड यूजर अपने प्रोफाइल पेज से अपना व्यक्तिगत डाटा हटा या एक्सपोर्ट कर सकते हैं। हमारी Cookies Policy, Privacy Policy और Terms & Conditions के बारे में पढ़ें और अपनी सहमति देने के लिए Agree पर क्लिक करें।