पूरे भारत में निजी वाहनों की बेरोकटोक आवाजाही सुनिश्चित करने के लिए, 24 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों ने व्हीकल रजिस्ट्रेशन (वाहन पंजीकरण) के लिए नई भारत सीरीज (बीएच-सीरीज) शुरू की है। परिवहन विकास परिषद की वार्षिक बैठक के मिनट्स से यह जानकारी मिली है। मिनट्स किसी बैठक में हुई चर्चा का ब्यौरा होता है।
41वीं परिवहन विकास परिषद (टीडीसी) की बैठक पिछले महीने बेंगलुरु में हुई थी। बैठक के मिनट्स में कहा गया है, "नीति की स्थापना के बाद से, 24 विभिन्न राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में 20,000 से ज्यादा वाहनों का पंजीकरण किया गया है।"
पिछले साल अगस्त में, सरकार ने एक नई वाहन पंजीकरण व्यवस्था की अधिसूचना जारी की थी। इसके मुताबिक एक राज्य या केंद्र शासित प्रदेश से दूसरे में ट्रांसफर होने पर वाहन मालिकों को अपने वाहनों का पंजीकरण फिर से नहीं कराना होगा।
मिनट्स के मुताबिक, विभिन्न चौकियों पर बिना रुके देश भर में पर्यटकों की निर्बाध आवाजाही और स्थानीय / राज्य के नियमों के अनुसार टैक्स के भुगतान की आवश्यकता को प्रदर्शित करने के लिए, सड़क मंत्रालय द्वारा की गई पहल 30,000 से ज्यादा परमिट के साथ कामयाब रही है और अब तक 2,75,000 ऑथराइजेशन (प्राधिकरण) पहले ही दिए जा चुके हैं।
इसमें कहा गया है कि राज्य सरकारों को निर्बाध यातायात आवाजाही प्रदान करने के लिए शहरी और अर्ध-शहरी हिस्सों में गति सीमा प्रतिबंधों पर फिर से विचार करने के लिए प्रोत्साहित किया गया है।
हाल ही में सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने कहा था कि वह एक्सप्रेस-वे पर अधिकतम गति सीमा बढ़ाकर 140 किमी प्रति घंटा करने के पक्ष में हैं।
गडकरी ने कहा कि राष्ट्रीय राजमार्गों की गति सीमा फोर-लेन सड़कों पर कम से कम 100 किमी प्रति घंटा होनी चाहिए। जबकि टू-लेन सड़कों पर गति सीमा 80 किमी प्रति घंटा और शहर की सड़कों के लिए यह 75 किमी प्रति घंटा होनी चाहिए।