श्रीनगर के ईदगाह में आतंकी हमले का शिकार बनी प्रिंसिपल सुपिंदर कौर की अंतिम यात्रा में बड़ी संख्या में जन सैलाब उमड़ा। आतंकी हमले में जान गंवाने वाले शिक्षक सुपिंदर कौर की अंतिम यात्रा के दौरान लोगों ने आंतकी संगठन 'द रेजिस्टेंस फ्रंट' (टीआरएफ) के ख़िलाफ नारे लगाए। हर किसी की आंखों में आंसुओं के साथ आतंकियों के खिलाफ रोष दिखा। लोगों ने मांग की कि जल्द से जल्द उन्हें इंसाफ दिया जाए।
प्रिंसिपल सुपिंदर कौर के पड़ोसी शौकत डार को यकीन ही नहीं हो रहा था कि वह अब इस दुनिया में नहीं हैं। रोते हुए उन्होंने कहा कि वह बहुत ही नेक महिला थीं। पिछले कुछ वर्षों से वह एक मुस्लिम लड़की की पढ़ाई का पूरा खर्च उठा रही थीं। शौकत अहमद डार ने विशेष बातचीत में कहा कि हमारे परिवार के अलावा उनके दुख और पीड़ा साझा करने के लिए उनके पास कोई और नहीं था। सुपिंदर हमारे घर को अपने मायके के रूप में मानती थीं।
करण नगर इलाके में लैब टेक्निशन का काम करने वाले डार बताते हैं कि हर दिन जब भी वह स्कूल के लिए निकलती थीं तो वह हमें बताने के लिए खिड़की पर दस्तक देती थीं कि वह जा रही है। डार ने बताया कि वे और सुपिंदर के पति आरपी सिंह नर्सरी से एक साथ ही पढ़े हैं, और आज भी रोज सुबह एक साथ वॉक पर जाते हैं। वीरवार को भी सुबह उन्होंने मुझे फोन किया था। उन्होंने कहा कि कुछ दिन पहले सुपिंदर ने उसका पहचान पत्र पहने देखा था जिसमें मैनेजर के रूप में मेरी पोस्ट लिखी गई थी। इस पर सभी पड़ोसियों के बीच उन्होंने मिठाई बांटी। सुपिंदर से मेरा खून का रिश्ता नही था परंतु वह हमारे परिवार का हिस्सा थीं।
यह भी पढ़ें- दीपक चंद की श्रीनगर में हत्या: पत्नी की पथराई आंखें, तीन साल की अबोध बच्ची की थमी सिसकारियां, श्रद्धांजलि देने उमड़ा सैलाब
डार ने कहा कि सुपिंदर बतौर प्रिंसिपल जितना वेतन पाती थीं उसका आधा हिस्सा सामाजिक कार्यों पर खर्च करती थीं। छानापोरा हायर सेकेंडरी स्कूल की एक छात्रा की फीस और ड्रेस का खर्चा उठाती थीं। यह लड़की यतीम थी और पहले अपनी मौसी के पास रहती थी। लेकिन पिछले साल मौसी की शादी के बाद वह परेशान थी। इसका किसी तरह सुपिंदर को पता लगा तो उन्होंने मुझे कहा था कि इस लड़की तो तुम अपने घर में रखो और 20 हज़ार रुपये मैं उसके खर्च के लिए दूंगी। सुपिंदर का छानापोरा हायर सेकेंडरी स्कूल से तबादला हो गया लेकिन लड़की का खर्च उठतीं थीं।