दिल्ली के मुंडका अग्निकांड में न जाने कितने बेगुनाह लोगों ने अपने चाहने वालों को खो दिया और दर्द भरे आंसुओं का सामना कर रहे हैं। मगर संजय गांधी अस्पताल की मोर्चरी के सामने पिछले 24 घंटे से अपनी पत्नी मुसर्रत का शव पाने के इंतजार में बैठे अकबर के आंसू सूख चुके हैं। उनसे यह पूछने पर कि क्या हुआ, उनकी पत्नी का कुछ पता चला? तो अकबर कहते हैं, कि जला हुआ शव दिखा रहे हैं साहब, किसको उठाकर ले जाऊं। साहब यह भी कह रहे हैं, कि सभी शवों की पैकिंग हो गई है। इनके नमूने हैदराबाद जाएंगे, वहां से जांच रिपोर्ट आएगी तभी पता चलेगा, कि जो शव यहां रखे हैं, मुसर्रत उनमें से ही एक है या नहीं। अकबर किसी से आंख मिलाकर ठीक से बात नहीं कर पा रहे हैं। उन्होंने गर्दन झुकाए अपनी बात रखी।
उन्होंने कहा कि वो तो चली गई, अब बच्चों की फिक्र है। किसके सहारे बच्चे पालूंगा, सब वही देखती थी, मैं तो हमेशा दिल्ली से बाहर रहता था। जब अकबर को मुसर्रत के बारे में पता चला, तो वह उड़ीसा में थे।
शाम को छह बजे उनके जीजा अनवर ने बताया, कि जहां उनकी पत्नी काम करती है, उस बिल्डिंग में आग लग गई है, वह मौके पर ही हैं। उन्होंने अकबर को बताया कि पूरी बिल्डिंग जल रही है।
इतना सुनने के बाद अकबर तुरंत दिल्ली के लिए रवाना हो गए। वह शनिवार को दोपहर प्रवेश नगर आकर अपने बच्चों से मिल पाए। उनकी बड़ी बेटी 11 साल की है, दूसरी बेटी छह साल की है और बेटा डेढ़ साल का है।
अकबर की बड़ी बेटी समझदार है, वह मां के लिए ज्यादा परेशान है। अकबर पेशे से ड्राइवर हैं, उनकी पत्नी मुसर्रत बिल्डिंग में स्थित आई क्लीयर कंपनी में कैमरों की पैंकिंग और लेबलिंग का काम करती थी।