‘आश्रम’ सीरीज में भोपा स्वामी का किरदार निभाकर हिंदी सिनेमा के दमदार कलाकारों की अगली कतार में आए अभिनेता चंदन रॉय सान्याल ने बतौर अभिनेता अपने करियर की शुरुआत निर्देशक राकेश ओमप्रकाश मेहरा की फिल्म 'रंग दे बसंती' में एक छोटा सा किरदार निभा कर की। फिर ’कमीने’, ’जज्बा’, ’जब हैरी मेट सेजल’ जैसी फिल्मों के जरिये वह आहिस्ता आहिस्ता अपना एक अलग मकाम हिंदी सिनेमा में बना चुके हैं। ओटीटी के वह स्टार हैं और अरसे बाद उनकी एक फिल्म 'वो तीन दिन' सिनेमाघरों तक पहुंची है। 'अमर उजाला' से एक खास बातचीत में चंदन रॉय सान्याल कहते हैं, 'हां, बहुत दिनों के बाद मेरी फिल्म थियेटर तक पहुंची है। ओटीटी के आने से फिल्मों में भी कहानी कहने का तरीका बदल गया है। नए नए किरदार लिखे जा रहे हैं। ये भी एक लीक से इतर फिल्म है।'
आदमी दिन भर मोबाइल में घुसा रहता है
चंदन राय सान्याल कहते हैं, 'साल 2019 के बाद से सिनेमा काफी बदल गया है। आज सिनेमा पर सोशल मीडिया और ओटीटी हावी हो रहा है। बदलता दौर अच्छा भी है और बुरा भी है। अच्छा यह है कि ओटीटी पर नए नए कंटेंट आ रहे हैं। आज दर्शकों के पास बहुत सारे ऑप्शन हैं। अगर दो मिनट तक कोई शो पसंद नहीं आता है तो उनके बाद दूसरे बहुत सारे ऑप्शन है। बुरा यह है कि आदमी दिन भर मोबाइल में ही घुसा रहता है। उसके आस पास क्या हो रहा है। उसे पता नहीं होता।'
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इस फिल्म में मिला पहला मौका
चंदन रॉय सान्याल के पिता गोविंद सान्याल दिल्ली में जॉब करते थे और उनकी माता वंदना सान्याल गृहणी हैं। चंदन रॉय सान्याल कहते है, 'शौकिया तौर पर स्कूल में नाटक किया करता था। शौक पैशन बन गया फिर प्रोफेशन। पिता जी को लग रहा था कि एक्टिंग कौन करता है? यह तो बड़े लोगों का प्रोफेशन है। पढ़ाई करके नौकरी करो और शादी करके घर संभालो। फिल्मों में एक्टिंग करना अमीरों का काम है। हम जैसे लोगों का नहीं।’ मैथमेटिक्स में ग्रेजुएशन करने के बाद चंदन राय सान्याल को फिल्मों में सबसे पहला मौका राकेश ओमप्रकाश मेहरा की फिल्म ‘रंग दे बसंती’ में मिला।
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प्रियंका चोपड़ा की तारीफ से मिला हौसला
फिल्म ‘रंग दे बसंती’ में चंदन ने बटुकेश्वर दत्त का छोटा सा किरदार निभाया था। वह कहते हैं, 'उस समय सिनेमा के बारे में मुझे कुछ भी पता नहीं था। शूटिंग कैसे होती थी, देखता रहता था। 'कमीने' में जब काम किया और फिल्म की स्क्रीनिंग हुई तो मेरे काम को देखकर प्रियंका चोपड़ा ने कहा कि बहुत उम्दा काम किया है। बहुत आगे जाओगे। उनके इस बात से बहुत प्रोत्साहन मिला था। 'जज्बा' में इरफान खान के साथ काम करने का मौका मिला। उनके प्रति मेरे दिल में बहुत सम्मान था और उनके साथ काम करने का मौका मिला तो ये एक अलग अनुभव तो रहा ही, जीवन का एक अनूठा सबक भी बन गया।'
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शाहरुख जमीन से जुड़े इंसान हैं
30 जनवरी 1980 को दिल्ली के करोलबाग में जन्मे चंदन रॉय सान्याल शाहरुख खान के साथ फिल्म 'जब हैरी मेट सेजल' में काम कर चुके है। चंदन रॉय सान्याल कहते हैं, 'शाहरुख खान भी दिल्ली के करोलबाग में रहते थे। जब मैंने उनको बताया कि मैं भी करोल बाग से हूं तो वह बहुत खुश हुए। उनका मैं बहुत बड़ा फैन रहा हूं और उनके साथ काम करने का मौका भी मिला। उनसे शूटिंग के दौरान बहुत सारी बातें होती थी। शूटिंग से पहले हम लोगों के साथ रिहर्सल भी करते थे। सुपरस्टार होने के बावजूद वह जमीन से जुड़े इंसान हैं। करोल बाग के दिनों से ही मैं उनका फैन रहा हूं। सोचा नहीं था कि कभी उनके साथ काम भी करूंगा।'
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