चीन की एक कंपनी के भरोसे भारत में खड़े हुए ओटीटी एमएक्स प्लेयर का इसकी मातृ कंपनी से नाता टूटने के बाद से इसकी आर्थिक हालत दिनोंदिन खस्ता होती दिख रही है। बड़े पैमाने पर कर्मचारियों की छंटनी के बाद ताजा मामला मुंबई के तमाम फिल्मकारों को इस ओटीटी से पैसा न मिलने का सामने आया है। एमएक्स प्लेयर का करार सिंगापुर के कानूनों के अधीन होने के चलते ये फिल्मकार कंपनी के खिलाफ कोई कानूनी कार्रवाई करने से भी हिचक रहे हैं।
महामारी के बाद से ओटीटी प्लेटफार्म की लोकप्रियता काफी बढ़ी है। निर्माता, निर्देशक ओटीटी के लिए तरह तरह के कंटेंट बना रहे हैं। कुछ लोग अपनी फिल्मों को भी सीधे ओटीटी पर रिलीज कर रहे है। ओटीटी प्लेटफार्म पर कोई भी शो दो तरीके से रिलीज होता है। या तो निर्माता को शो के बदले एकमुश्त धनराशि मिल जाती है या, फिर उसे रेवेन्यू शेयरिंग बेसिस पर रिलीज किया जाता है। इसी रेवेन्यू शेयरिंग के नाम पर ओटीटी प्लेटफार्म कथित रूप से मनमानी कर रहे हैं। इस बारे में कई फिल्ममेकर्स ने एमएक्स प्लेयर के साथ साथ कारोबार करने में हुए अपने कड़वे अनुभव ‘अमर उजाला’ के साथ साझा किए हैं।
फिल्म ‘भूतनाथ’ बनाकर सुर्खियों में आए निर्देशक विवेक शर्मा की फिल्म 'अ गेम कॉल्ड रिलेशनशिप' कोविड से पहले थियेटर में रिलीज हुई थी। इसके बाद उन्होंने ये फिल्म ओटीटी के लिए एमएक्स प्लेयर को रेवेन्यू शेयरिंग बेसिस दे दी। विवेक के मुताबिक, 'जब साल भर तक मुझे पैसे नहीं मिले तो मैंने फिल्म वहां से हटा ली।’ विवेक हिंदी सिनेमा के नामचीन निर्देशक रहे हैं लेकिन उनके साथ भी एमएक्स प्लेयर ने जो व्यवहार किया, उससे पूरी फिल्म इंडस्ट्री चौकन्नी हो गई है। विवेक ने इस बारे में एमएक्स प्लेयर प्रबंधन से हर स्तर पर बात की लेकिन उन्हें साल भर फिल्म ओटीटी पर चलते रहने का कोई पैसा नहीं मिला।
चर्चित फिल्म 'माय फ्रेंड गणेशा सीरीज' के निर्देशक राजू रुइया को भी ऐसी ही शिकायत है। वह कहते हैं, 'मेरी दो फिल्में 'फ्लेम एन अनटोल्ड लव स्टोरी' और 'एक्स रे' एमएक्स प्लेयर पर रेवेन्यू बेसिस शेयरिंग बेसिस पर चल रही थीं। मुझे बीते एक साल तक कोई पैसा नहीं मिला तो मैंने दोनों फिल्मों को वहां से हटा लिया।’ राजू के मुताबिक ओटीटी प्लेटफार्म ने ये पूरा खेल मुफ्त में फिल्में पाने को रचा है। निर्माता को लगता है कि रेवेन्यू शेयरिंग बेसिस पर फिल्म देने से उसे ताउम्र निश्चित रकम हर साल मिलती रहेगी लेकिन कम से कम एमएक्स प्लेयर पर ये सिर्फ छलावा है।
इस बारे में तफ्तीश करने पर पता चला कि एमएक्स प्लेयर की टीम फिल्म निर्माताओं से रेवेन्यू शेयरिंग बेसिस पर जो सौदा करती है, उसमें पहले साल विज्ञापनों से होने वाली कमाई का 60 प्रतिशत हिस्सा निर्माता को और 40 प्रतिशत हिस्सा ओटीटी प्लेटफार्म को मिलता है। दूसरे साल ये हिस्सेदारी 70-30 की और उसके बाद 80-20 की हो जाती है। लेकिन इस सौदेबाजी में एक पेंच है और वह ये कि अगर 100 डॉलर से कम रेवेन्यू आया तो निर्माता को एक भी पैसा नहीं मिलता। हिसाब किताब में पारदर्शिता न होने से निर्माताओं को समझ ही नहीं आता कि आखिर फिल्म कितने लोगों ने देखी और एमएक्स प्लेयर को कितनी कमाई हुई?