बॉलीवुड में शशि कपूर का नाम ऐसे अभिनेता के तौर पर लिया जाता है, जिन्होंने अपने दमदार और शानदार अभिनय के दम पर तीन दशकों तक सिने प्रेमियों का भरपूर मनोरंजन किया है। अपने दौर में शशि कपूर करोड़ों दिलों की धड़कन बनकर धड़के थे। बॉलीवुड के लेजेंड कहे जाने वाले शशि कपूर की आज पुण्यतिथि है। आज ही के दिन साल 2017 में वह लंबी बीमारी से जिंदगी की जंग हार गए थे। शशि कपूर सफल अभिनेता के तौर पर जाने जाते हैं, लेकिन क्या आपको पता है कि फिल्मी बैकग्राउंड से आने के बावजूद उन्हें अपनी पहचान बनाने में काफी कठिनाइयों का करना पड़ा था। आइए जानते हैं उनके संघर्ष की दास्तां...
मेहनत के दम पर बने अभिनेता
शशि कपूर को फिल्मों में अभिनेता के तौर पर अपनी पहचान बनाने में बहुत मेहनत करनी पड़ी। शशि कपूर बचपन से ही अभिनेता बनना चाहते थे। शशि कपूर के पिता पृथ्वीराज कपूर, उनके भाई राज कपूर और शम्मी कपूर फिल्मी जगत के जाने-माने अभिनेता थे। वे चाहते तो शशि कपूर को मुख्य भूमिका में लेकर फिल्म बना सकते थे, लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया। पृथ्वीराज कपूर का मानना था कि शशि कपूर संघर्ष करें और अपनी मेहनत के दम पर अभिनेता के तौर पर अपनी पहचान बनाएं।
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बचपन से किया संघर्ष
शशि कपूर ने अपने अभिनय की शुरुआत बचपन से ही कर दी थी। उन्होंने बाल कलाकार के रूप में कई फिल्मों में काम किया। शशि कपूर ने 1948 में फिल्म 'आग' और 1951 में 'आवारा' में अभिनेता राजकपूर के बचपन का किरदार अदा किया था। 50 के दशक में शशि कपूर अपने पिता पृथ्वीराज कपूर के थिएटर से जुड़ गए थे। इसके बाद वे नाटक मंडली शेक्सपियेराना से जुड़ें। इसी दौरान उनकी मुलाकात जेनिफर केंडल से हुई। दोनों ने एक दूसरे से प्यार का इजहार किया और बाद में शादी कर ली।
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पहली फिल्म हुई फ्लॉप
शशि कपूर ने बतौर अभिनेता अपने करियर की शुरुआत साल 1961 में की थी। उन्होंने यश चोपड़ा की की फिल्म 'धर्म पुत्र' में काम किया। इसके बाद उन्होंने विमल राय की फिल्म 'प्रेम पत्र' में भी अभिनय किया, लेकिन ये दोनों ही फिल्में शशि कपूर के करियर के लिए बुरी साबित हुईं। ये फिल्में बॉक्स ऑफिस पर बुरी तरह पिट गईं। इसके बाद शशि ने 'मेहंदी लगी मेरे हाथ', 'हॉलीडे इन बॉम्बे', 'बेनजीर' जैसी फिल्मों में काम किया, लेकिन इस बार भी सफलता हाथ नहीं लगी। नाकामयाबी के बाद भी उन्होंने हिम्मत नहीं हारी थी।
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ऐसे बने स्टार
साल 1965 उनके करियर के लिए अच्छा साबित हुआ। उन्होंने फिल्म 'जब जब फूल खिले' में काम किया। इस फिल्म से वे स्टार बनकर उभरें। 1965 से 1976 तक शशि कपूर ने कई हिट फिल्में दीं। इस दौरान उनकी छवि रोमांटिक हीरो की बन चुकी थी। इसके बाद अस्सी के दशक में शशि कपूर ने डायरेक्शन की दुनिया में कदम रखा। फिल्म 'जुनून' और 'अजूबा' को डायरेक्ट किया। हालांकि, ये फिल्में बॉक्स ऑफिस पर कमाल नहीं दिखा पाईं। इसके बाद उन्होंने अमिताभ बच्चन के साथ कई फिल्मों में काम किया। अमिताभ और शशि की जोड़ी को लोगों ने खूब प्यार दिया।
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