उत्तर प्रदेश का गोरखपुर शहर अन्य शहरों के मुकाबले छोटा लेकिन यहां घूमने और समय बिताने के लिए कई ऐसे स्थान हैं, जहां आप बिना घड़ी देखे घंटों बिता सकते हैं। गर्मियों की छुट्टियां शुरू हो चुकी हैं। ऐसे में अगर कहीं बाहर जाने का प्लान बनाना है। पूरे परिवार के साथ गोरखपुर के इन छह स्थानों पर घूम सकते हैं। यहां घूमने बैठने और फोटोज क्लिक करवाने के लिए पर्याप्त साधन और सुविधा उपलब्ध है। आज हम आपको गोरखपुर के खास छह स्थानों के बारे में बताने जा रहे हैं। यहां दूर-दूर से पर्यटक घूमने के लिए आते हैं।
गोरखपुर चिड़ियाघर
27 मार्च 2021 को उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ के द्वारा गोरखपुर चिड़ियाघर का उद्धाटन किया गया था। इस चिड़ियाघर का नाम शहीद अशफाक उल्लाह खान प्राणि उद्यान रखा गया है। यह गोरखपुर के नौका बिहार के बगल में ही स्थित है। इसमें 6 वर्ष से लेकर 12 वर्ष तक के लोगों के प्रवेश पर 25 रुपये और 12 वर्ष से बुजुर्गों तक के प्रवेश पर 50 रुपये शुल्क है। इसके खुलने का समय सुबह 9 बजे से लेकर शाम 5 बजे तक का है। सोमवार को साप्ताहिक बंदी रहती है। यहां पूरे दिन चिड़ियाघर के प्यारे जानवरों के साथ बिता सकते हैं।
गीता प्रेस
हिंदू धार्मिक ग्रंथों और पुस्तकों को प्रकाशित करने का दुनिया का प्रमुख केंद्र गीता प्रेस है। गीता प्रेस अपना शताब्दी वर्ष भी मना रहा है। जिसमें उसके मुख्य अतिथि महामहिम रामनाथ कोविंद हैं। 1923 में जया दयाल गोयंदका और घनश्याम दास जालान ने गीता प्रेस की नींव रखी थी। पवित्र गीता और इसकी व्याख्याओं, पवित्र महाकाव्य रामायण, महाभारत, पुराण, उपनिषद, विभिन्न संतों और गुरुओं की रचनाओं को प्रकाशित किया। इन सभी का क्षेत्रीय भाषाओं में अनुवाद किया गया है। कल्याण व कल्पतरू जैसी मासिक पत्रिकाएं भी प्रकाशित की जा रही हैं। पर्यटक हिंदू धर्म की सभी धार्मिक पुस्तकें, ग्रंथ आदि देख सकते हैं और खरीद भी सकते हैं।
रामगढ़ताल
शहर के दक्षिण-पूर्वी छोर पर 1700 एकड़ क्षेत्र में फैला रामगढ़ताल प्रकृति की अनुपम भेंट है। ईसा पूर्व छठी शताब्दी में गोरखपुर का नाम रामग्राम था। यहां कोलीय गणराज्य स्थापित था। उन दिनों राप्ती नदी आज के रामगढ़ताल से ही होकर गुजरती थी। बाद में राप्ती नदी की दिशा बदली तो उसके अवशेष से रामगढ़ताल अस्तित्व में आ गया। रामगढ़ ताल पूर्वांचल का मरीन ड्राइव बन चुका है। इसकी छटा देखने के लिए दूर-दूराज से पर्यटक आते हैं। लाइट एंड साउंड शो के साथ शाम ढलते ही ताल का नजारा अद्भुत होता है। वहीं शाम सुबह बजने वाला भजन लोगों को शूकुन देता है। नौकायन व वाटर स्पोर्ट्स ने इसकी खूबसूरती में चार चांद लगा दिया है।
गोरखनाथ मंदिर
धार्मिक और आध्यात्मिक दृष्टिकोण से गोरखनाथ मंदिर पर्यटन का प्रमुख केंद्र है। यूपी, बिहार, उत्तराखंड सहित कई राज्यों के लोग गोरखनाथ मंदिर आते हैं। नेपाल में भी गुरु गोरखनाथ पूजे जाते हैं। नेपाल के राजा की खिचड़ी अब भी चढ़ती है। मकर संक्रांति पर पांच-छह लाख श्रद्धालु पूजा-पाठ करते हैं। मान्यता है कि ज्वालादेवी के स्थान से परिभ्रमण करते हुए 'गुरु गोरखनाथ' ने आकर भगवती राप्ती के तटवर्ती क्षेत्र में तपस्या की थी और उसी स्थान पर अपनी दिव्य समाधि लगाई थी। वहीं गोरखनाथ मंदिर बना है। इसकी भव्यता दूर से दिखती है। भीम सरोवर के साथ लाइट एंड साउंड शो आकर्षण का प्रमुख केंद्र है।