टेरर फंडिंग के मामले में यासीन मलिक को उम्रकैद की सजा सुनाई गई है। राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने कोर्ट से यासीन मलिक को फांसी की सजा देने की मांग की थी। हालांकि, कोर्ट ने उसे उम्रकैद की सजा दी। यासीन काफी समय से कश्मीर में रहते हुए भारत के खिलाफ साजिश रचता रहा है। अदालत ने 19 मई को टेरर फंडिंग मामले में उसे दोषी ठहराया था। आइए जानते हैं यासीन मलिक के बारे में सबकुछ...
1. पिता बस ड्राइवर, बेटे ने घाटी में फैलाई दहशत
यासीन मलिक का जन्म तीन अप्रैल 1966 को श्रीनगर के मैसुमा में हुआ था। यासीन के पिता गुलाम कादिर मलिक सरकारी बस ड्राइवर थे। यासीन की पूरी पढ़ाई-लिखाई श्रीनगर में ही हुई। उसने श्री प्रताप कॉलेज से स्नातक किया यासीन मलिक ने एक इंटरव्यू में आम छात्र से प्रतिबंधित संगठन जम्मू कश्मीर लिबरेशन फ्रंट का मुखिया बनने तक की कहानी सुनाई थी। उसने दावा था कि कश्मीर में सेना का जुल्म देखकर उसने हथियार उठाए। इसके बाद यासीन ने 80 के दशक में 'ताला पार्टी ' का गठन किया। साथ ही, उसने घाटी में कई बार आतंकी घटनाओं को अंजाम दिया।
2. क्रिकेट मैच के दौरान पिच खराब करने गया
यह बात 13 अक्तूबर 1983 की है। कश्मीर के शेर-ए-कश्मीर स्टेडियम में भारत और वेस्ट इंडीज के बीच क्रिकेट मैच चल रहा था। लंच ब्रेक के दौरान 10-12 लड़के अचानक मैदान में पहुंच गए और पिच खराब करने लगे। इस वारदात को ताला पार्टी के कार्यकर्ताओं ने ही अंजाम दिया था।
3. सैकड़ों लोगों की रैली में फोड़े पटाखे
13 जुलाई 1985 को कश्मीर के ख्वाजा बाजार में नेशनल कॉन्फ्रेंस की रैली हो रही थी। उस दौरान सैकड़ों लोग मौजूद थे। 60 से 70 लड़के रैली में पहुंचे और बीच में ही पटाखे फोड़ दिए। उस वक्त हर किसी को लगा कि बमबारी शुरू हो गई है। हर तरफ अफरातफरी का माहौल बन गया। तब पहली बार यासीन मलिक पकड़ा गया।
4. 'ताला पार्टी' का नाम बदलकर 'आईएसएल' किया
साल 1986 में मलिक ने 'ताला पार्टी' का नाम बदलकर 'इस्लामिक स्टूडेंट्स लीग यानी आईएसएल' कर दिया। इसमें वह केवल कश्मीर के युवाओं को शामिल करता था। इसका मकसद कश्मीर को भारत से अलग करना था। आईएसएल में अशफाक मजीद वानी, जावेद मीर और अब्दुल हमीद शेख जैसे आतंकी शामिल थे, जिन्होंने कश्मीर में कई आतंकी घटनाओं को अंजाम दिया।