हृदय रोगों के मामले, पिछले एक दशक में काफी तेजी से बढ़े हैं। बीमारियों और शारीरिक स्थितियों को लेकर आमतौर पर जो मिथक या भ्रांतियां लोगों में होती हैं, उनमें से एक है दिल की सेहत को लेकर लगाए जाने वाले कयास। यह माना जाता रहा है कि दिल के रोग या हार्ट अटैक पुरुषों को ज्यादा होता है। पर क्या आप जानते हैं कि दिल के रोगों का खतरा महिलाओं को भी उतना ही है जितना पुरुषों को, बल्कि समय के साथ महिलाओं में इसका प्रतिशत बढ़ता जा रहा है। इसलिए जरूरी है कि वक्त रहते इस मिथक से बाहर निकला जाए और बचाव को लेकर जानकरी रखी जाए।
ज्यादातर लोग यह मानकर चलते हैं कि सीने में दर्द, जकड़न, बाईं तरफ के शरीर में भारीपन या दर्द या सांस लेने में परेशानी आदि दिल की समस्या से जुड़े लक्षण होते हैं। जी हाँ, यह लक्षण हो सकते हैं लेकिन क्या आप जानते हैं कि महिलाओं में ह्रदय रोग से जुड़े लक्षण अलग भी हो सकते हैं? आइए इस बारे में विस्तार से जानते हैं।
महिला-पुरुष की अलग होती है शारीरिक संरचना
स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं, पुरुषों और महिलाओं की एनाटॉमी और फिजियोलॉजी अलग होने के कारण उनके फेफड़ों से लेकर मांसपेशियों तक में अंतर हो सकता है। यही अंतर उनके कार्डियोवैस्क्युलर (ह्रदय संबंधी) सिस्टम में भी होता है। इसके कारण पुरुषों की तुलना में महिलाओं के दिल का आकर थोड़ा छोटा होता है और उनकी ब्लड वेसल्स थोड़ी संकरी होती हैं। इसकी वजह से ह्रदय रोग महिलाओं में अलग तरह से पनपते हैं।
दिल के सेहत को लेकर महिलाओं को बरतनी होगी सावधानी
यह बात एक तथ्य है कि सही डाइट से लेकर अपना रूटीन ठीक रखने, व्यायाम करने और यहाँ तक कि सलाना जांचें करवाने तक के मामले में भी हमारे देश में महिलाएं पीछे रहती हैं। वे यह भूल जाती हैं कि उनका स्वस्थ रहना तो पूरे परिवार के लिए और भी जरूरी है। वे स्वस्थ रहेंगी तभी तो परिवार का भी ध्यान रख पाएंगी। इसके बाद फिर मेनोपॉज जैसी स्थितियों के चलते जो असंतुलन शरीर में पनपता है, वह महिलाओं में दिल के रोगों की आशंका को और बढ़ा देता है। इसलिए जरूरी है कि महिलाएं अपने मन से भ्रांतियां निकालें और लक्षणों पर ध्यान दें।
महिलाओं में हार्ट अटैक के लक्षण
महिलाओं में हार्ट अटैक या दिल की बीमारियों के जो लक्षण या स्थितियां पुरुषों से अलग हो सकती हैं, उनमें शामिल हैं- पेट में दर्द उठना। यह महिलाओं में ह्रदय रोग से जुड़ा एक लक्षण हो सकता है और हार्ट अटैक का संकेत भी। ऐसा महसूस होता है मानो पेट में से कोई चीज बाहर आने के लिए दबाव बना रही है और इसके साथ तीखा दर्द भी होता है।
- पेशाब की अधिक इच्छा- बार बार पेशाब की इच्छा मन में उठती है। आपको लगता है कि जाना जरूरी है लेकिन असल में होता कुछ नहीं। इस स्थिति में कभी भी बेवजह टॉयलेट में बैठकर प्रेशर न लगाएं। ये तकलीफ को बढ़ा सकता है।
- उलटी होना- जी घबराने जैसा एहसास भी हो सकता है। कई बार ऐसा लगता है जैसे मुंह के अंदर तालू पर कोई चीज भारी दबाव पैदा कर रही है।
- एक बांह में या कई बार दोनों बांहों में दर्द होना। यह दर्द बढ़कर गर्दन, गले, जबड़े और पेट या पीठ तक भी आ सकता है। कई बार दांतों में भी दर्द महसूस हो सकता है।
- इसके अलावा अचानक तेज पसीना आना और ऐसा लगना जैसे कोई दिल को तेजी से मुट्ठी में भींच रहा है, ये लक्षण भी तुरंत सतर्क करने वाले होते हैं।
- महिलाओं में गर्भावस्था के दौरान हुई कुछ समस्याएं जैसे प्री-एक्लेम्पसिया, जेस्टेशनल डायबटीज, एंडोमेट्रियोसिस आदि कई बार आगे जाकर हार्ट अटैक का कारण बन सकती हैं। यह स्थितियां पुरुषों से अलग होती हैं।
इन बातों का भी रखें ध्यान
स्वास्थ्य विशेषज्ञ बताते हैं, कई बार महिलाओं में शरीर हार्ट अटैक की ही तरह के लक्षण प्रकट करता है जो असल में हार्ट अटैक नहीं होता। यह स्थिति कोरोनरी स्पाज्म (रक्त वाहिका के अचानक कस जाने), कोरोनरी डायसेक्शन (रक्त नलिका की दीवार में क्षति हो जाने) या ब्रोकन हार्ट सिंड्रोम/एक प्रकार की कार्डियोमायोपैथी (भावनात्मक दबाव की वजह से सूजन आना और दिल का आकार थोड़ा बढ़ जाना) के कारण हो सकती है। ये समस्याएं दिल से ही जुड़ी तो होती हैं लेकिन हार्ट अटैक नहीं होतीं।
इन लक्षणों की जानकारी रखने के साथ ही नियमित और संतुलित भोजन, व्यायाम, सही रूटीन और तनावमुक्त जीवन जीने का प्रयास करना बहुत जरूरी है। 40 की उम्र के बाद अपने डॉक्टर से सलाना जांच भी अवश्य करवाएं। ये आपको ह्रदय रोग के साथ ही कई अन्य गंभीर रोगों से सुरक्षित रखने में मदद करेंगी।
----------------
नोट: यह लेख मेडिकल रिपोर्ट्स की सुझाव के आधार पर तैयार किया गया है।
अस्वीकरण: अमर उजाला की हेल्थ एवं फिटनेस कैटेगरी में प्रकाशित सभी लेख डॉक्टर, विशेषज्ञों व अकादमिक संस्थानों से बातचीत के आधार पर तैयार किए जाते हैं। लेख में उल्लेखित तथ्यों व सूचनाओं को अमर उजाला के पेशेवर पत्रकारों द्वारा जांचा व परखा गया है। इस लेख को तैयार करते समय सभी तरह के निर्देशों का पालन किया गया है। संबंधित लेख पाठक की जानकारी व जागरूकता बढ़ाने के लिए तैयार किया गया है। अमर उजाला लेख में प्रदत्त जानकारी व सूचना को लेकर किसी तरह का दावा नहीं करता है और न ही जिम्मेदारी लेता है। उपरोक्त लेख में उल्लेखित संबंधित बीमारी के बारे में अधिक जानकारी के लिए अपने डॉक्टर से परामर्श लें।