मोटापे का बढ़ना कई समस्याओं की आशंका को भी बढ़ा देता है। बीते वर्षों में दुनियाभर में मोटापा एक महामारी के रूप में सामने आया है। इसके पीछे वजहें कई हो सकती हैं। खाने पीने में कोताही से लेकर अनियमित दिनचर्या, दफ्तर या घर के सिटिंग अवर्स और बढ़ता सामाजिक व कामकाजी दबाव व तनाव तक। उम्र का भी मोटापे की समस्या से कोई लेना देना नहीं है। बच्चों से लेकर युवाओं तक में मोटापा रोग का रूप लेता जा रहा है।
मोटापे का मतलब है शरीर में अतिरक्त चर्बी या फैट का जमा होना और यह चर्बी शरीर पर बाहर दिखने के साथ साथ अंदरूनी हिस्सों को भी चपेट में ले लेती है। पेट पर चढ़ने वाली चर्बी इनमें सबसे घातक हो सकती है क्योंकि पेट वाले हिस्से में कई महत्वपूर्ण अंग काम कर रहे होते हैं और इनके काम में बढ़ा हुआ मोटापा बाधा बनने लगता है। पुरुषों के पेट का बढ़ना भी इसलिए ही खतरा पैदा कर सकता है। जानिए क्या है यह खतरा और कैसे पाया जा सकता है इस पर नियंत्रण।
कई मुश्किलों का है कारण
बढ़ा हुआ वजन केवल बाहरी शारीरिक स्थिति को ही असंतुलित नहीं करता, इसकी वजह से पूरी सेहत असंतुलित हो सकती है। हर बढ़ते किलो के साथ व्यक्ति डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर, ह्रदय रोग जैसी समस्याओं के और करीब पहुँच जाता है। शरीर में पूरे बढ़े हुए वजन की तुलना में पेट पर बढ़ा वजन अधिक चिंता का विषय हो सकता है। ये कई बीमारियों की आशंका को बढ़ा सकता है, जैसे-
- कार्डियोवैस्क्युलर डिसीज (ह्रदय संबंधी)
- टाइप-2 डायबिटीज
- कोलोरेक्टल कैंसर
- स्लीप एप्निया (खर्राटों से जुड़ी समस्या)
- कम उम्र में विभिन्न वजहों से मृत्य का खतरा
- जोड़ों से संबंधित समस्याएं, आदि
भारतीय पुरुषों की समस्या
भारतीय पुरुषों के मामले में एक और चीज जो खतरा पैदा करती है वह है उनकी लाइफस्टाइल। अधिकांश पुरुष अपने भोजन और निजी कामों जैसे कपड़े धोने, घर की साफ-सफाई आदि के लिए घर की महिलाओं पर निर्भर रहते हैं। खासकर जीवन में स्थाईत्व आ जाने के बाद। उनका ज्यादातर समय दफ्तर में लम्बे समय तक बैठे रहकर काम करने में बीतता है। यदि वे फील्ड में काम करते हैं तो भी अपने खान-पान को लेकर लापरवाही बरतते हैं।
दूसरी ओर शराब और सिगरेट के सेवन में भी उनका प्रतिशत महिलाओं की तुलना में अधिक होता है। ऊपर से हमारे समाज में महिलाओं के मोटापे को उनके अनाकर्षक होने से जोड़ा जाता है, जिसका असर उनकी जिंदगी के हर हिस्से पर पड़ता है। जबकि पुरुषों के लिए आकर्षक दिखने की कोई बाध्यता नहीं होती। इन सब स्थितियों के चलते पुरुष अपने बढ़ते पेट को नजरअंदाज करने लगते हैं और नतीजा घातक हो जाता है।
बढ़ते पेट का खतरा
पेट पर इकट्ठी होने वाली चर्बी केवल त्वचा के नीचे मौजूद अतिरिक्त परतों (सबक्यूटेनियस फैट) के रूप में नहीं होती। यह विसरल फैट के रूप में पेट के भीतर महत्वपूर्ण अंगों के आस पास जमा होने लगती है और यही अधिक नुकसान करती है। इससे उन अंगों पर दबाव बनने लगता है और उनकी काम करने की क्षमता प्रभावित होने लगती है। लगातार बढ़ते इस दबाव का असर पूरे शरीर के संचालन पर पड़ने लगता है और धीरे धीरे अंदरूनी क्षति होने लगती है। उसपर यदि कोई अपना अधिक समय केवल बैठे रहकर, जंक फ़ूड खाकर बिताता है तो मुश्किल और भी बढ़ जाती है।
आपका कैलोरी इनटेक इसमें बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। उदाहरण के लिए आप पूरे दिन में कितनी कैलोरी लेते हैं और कितनी कैलोरी जला पाते हैं, इस पर ही सारा समीकरण निर्भर करता है। इसके अलावा आपकी उम्र, अन्य शारीरिक स्थितियां और जेनेटिक कंडीशन भी मोटापे को आमंत्रण देने का काम कर सकती हैं। यदि आप बहुत खाते हैं और कम व्यायाम करते हैं तो भी समस्या हो सकती है।
कैसे लगेगा पता
पेट पर बढ़ा मोटापा आपके लिए खतरा है इसका पता हालाँकि टाइट होते कपड़ों और शारीरिक स्थिति से ही लग जायेगा लेकिन इसके लिए विशेषज्ञ बकायदा एक पैमाने को भी तय करते हैं। इसके लिए आपको पेट का माप लेने जरूरत है। एक जगह पर स्थिर खड़े रहकर एक टेप से अपने पेट का माप लें। यह माप हिपबोन (कूल्हे की हड्डी) के ऊपर से लीजिये। गहरी सांस लेकर बदन को ढीला छोड़िये और फिर जो माप आता है उसे नोट कीजिये।
पुरुषों के लिए कमर (पेट) का यह माप 38-40 इंच तक भी ठीक माना जाता है लेकिन इससे अधिक होना खतरे का संकेत है। यानी अगर कमर के माप के कारण आपको 38 इंच से अधिक की जींस या ट्राउजर लेना पड़ रहा है तो सम्भल जाइए।