अंतरराष्ट्रीय दशहरा उत्सव में शरीक होने के लिए लाव-लश्कर के साथ सैकड़ों देवी-देवता ढालपुर मैदान पहुंच गए हैं। हालांकि, कुछ देवता सोमवार देर शाम को कुल्लू पहुंचे। दशहरा उत्सव में शरीक हुए सैकड़ों देवी-देवताओं ने रघुनाथ के दरबार में हाजिरी भरी।
सुबह से ही रघुनाथ की नगरी सुल्तानपुर में देवी-देवताओं के आने का सिलसिला शुरू हो गया। ढोल नगाड़ों और नारसिंघों की स्वरलहरियों पर देवताओं ने भगवान रघुनाथ से मिलन किया।
इसके बाद देवता अपने अस्थायी शिविरों की ओर रवाना हो गए। एक साल बाद भव्य देव मिलन के अद्भुत नजारे के सैकड़ों लोग गवाह बने।
रघुनाथ के दरबार में हाजिरी लगाने के बाद देवताओं ने राज-परिवार के लोगों को आशीर्वाद दिया।
खराहल घाटी के आराध्य देवता बिजली महादेव ने हारियानों सहित सोमवार शाम को रघुनाथ के दरबार में हाजिरी भरी। बिजली महादेव ने गूर के माध्यम से राजपरिवार को दशहरे को सफलतापूर्वक संपन्न करवाने का वचन दिया। देवता ने कहा कि दशहरे पर आने वाले हर संकट को महादेव टाल देंगे।
मंगलवार सुबह से ही देवता भगवान रघुनाथ के दरबार में हाजिरी लगाने के लिए आते रहे। देव परंपरा के निर्वहन करने के लिए माता हिडिंबा, देवता छमाहणी नारायण, माता पार्वती, माता भागासिद्ध, देवता खुडीजल, शृंगाऋषि, बालूनाग और ब्यास ऋषि, टकरासी नाग, चोतरू नाग, कोट पझारी, देवता चंभू, लक्ष्मी नारायण, मनु ऋषि आदि देवी-देवता ने भी रघुनाथ के दर पहुंचकर राज परिवार को शुभ आशीर्वाद दिया।