भारी बर्फबारी से लकदक मनाली की पहाड़ियों को देखकर सैलानी गदगद हो उठे। मनाली के साथ माता हिडिंबा का ढुंगरी, नेहरू कुंड और सोलंगनाला सैलानियों की भीड़ से गुलजार हो गए। हालांकि शुक्रवार को भी मनाली के पलचान से सोलंगनाला की तरफ मात्र फॉर वाई फॉर वाहन ही जा सके। बावजूद कई सैलानी सोलंगनाला पहुंचे। लेकिन अधिकतर पर्यटकों ने मनाली-पलचान के बीच आने वाले नेहरू कुंड के पास बर्फ की सफेद चादर में खूब मस्ती की।
सोलंगनाला पहुंचे पर्यटकों ने स्कीइंग, स्नो स्कूटर, यॉक सवारी का खूब आनंद लिया। वहीं नेहरू कुंड में पर्यटकों ने बर्फ के साथ अठखेलियां कीं। होटलियर विवेक कपूर, सतीश चौहान और पुनीत भल्ला ने बताया कि नवंबर माह में हुई बर्फबारी से आने वाले दिनों में पर्यटन कारोबार को गति मिलेगी। उन्होंने कहा कि विंटर सीजन का पर्यटन बर्फबारी पर ही निर्भर रहता है।
स्नो स्कूटर एसोसिएशन के प्रधान भूमि देव ठाकुर ने बताया कि सोलंगनाला में सैलानियों की भारी भीड़ उमड़ रही है। पैराग्लाइडिंग, स्नो स्कूटर और स्लेजिंग आदि साहसिक गतिविधियां सैलानियों के आकर्षक का केंद्र हैं। मनाली होटलियर एसोसिएशन के प्रधान अनूप राम ठाकुर ने बताया कि बर्फबारी होने से मनाली में पर्यटन बढ़ा है। नाइट कर्फ्यू में अगर सैलानियों को आने दिया जाए तो आक्यूपेंसी में भारी वृद्धि होगी।
हाल ही में हुई बर्फबारी के बाद शुक्रवार को प्रदेश भर में मौसम साफ रहा। धूप खिलने से लाहौल-स्पीति की चंद्राघाटी, कुल्लू के जलोड़ी दर्रा और मनाली के कई इलाकों में हिमखंड गिरने का खतरा है। प्रशासन ने सैलानियों और आम लोगों से खतरे वाली जगहों की ओर न जाने की हिदायत दी है। इन क्षेत्रों में दो से चार फीट तक ताजा बर्फबारी हुई है। शुक्रवार से औट-आनी-सैंज हाइवे 305 के साथ वाया अटल टनल रोहतांग मनाली-लेह मार्ग से बर्फ हटाकर इसे केलांग तक बहाल कर दिया है। रोहतांग और कुंजम दर्रा से अभी बर्फ हटाने का काम शुरू नहीं हुआ है। शुक्रवार को धूप खिलने के बाद पर्यटकों ने भी घाटी का रुख कर लिया है। मौसम साफ होने से लोगों ने भी राहत की सांस ली है।
उधर, कोरोना काल और भारी बर्फबारी के बाद चूड़धार शिरगुल महाराज मंदिर के कपाट समय से पहले बंद हो गए हैं। मंदिर संचालक समिति के कार्यकर्ता, ढाबा संचालक भी चूड़धार से अपने आवासों में लौट चुके हैं। सोशल मीडिया के माध्यम से चूड़ेश्वर सेवा समिति के प्रबंधक बाबू राम शर्मा ने इसकी जानकारी श्रद्धालुओं को दी है। प्रशासनिक तौर पर चूड़धार में यात्रा 30 नवंबर को बंद होनी थी, लेकिन इस बार भारी बर्फबारी और कोरोना के कारण चार दिन पहले ही चूड़धार की यात्रा बंद कर दी गई है।