Mahamrityunjaya Mantra: बेहद चमत्कारी है महामृत्युंजय मंत्र, जानिए इसका हिंदी अर्थ, जप का तरीका और फायदे
प्रलये भिन्नमार्यादा भविंत किल सागर:
सागरा भेदमिच्छन्ति प्रलेयशपि न साधव:।
- ऊपर दिए श्लोक के जरिए आचार्य चाणक्य कहते हैं कि समुद्र भी प्रलय आने पर अपनी मर्यादा लांघ देता है और किनारों को तोड़ता हुआ तबाही मचा देता है। जल-थल एक हो जाते हैं। लेकिन सज्जन व्यक्ति बड़े से बड़े संकट और विपरित परिस्थितियों में भी अपना धैर्य नहीं खोते और मर्यादा बनाए रखते हैं। यानी सज्जन व्यक्ति की सबसे बड़ी खूबी होती है, उसका धैर्य।
- आचार्य चाणक्य के अनुसार, सज्जन व्यक्ति वही है जो बुरे हालातों में भी गंभीरता को न त्यागे। सज्जनता की पहचान व्यक्ति के आचरण और व्यवहार पता की जा सकती है।
- इसके अलावा जो व्यक्ति अपनी ईमानदारी से समझौता नहीं करता वह सज्जन कहलाता है। इसके अलावा चाणक्य कहते हैं कि सज्जन व्यक्ति कभी अपने मुंह से अपने गुणों का बखान नहीं करता है। उसके कर्म और अच्छा बर्ताव ही उसे सम्मान के पात्र बनाते हैं।
- जिम्मेदारियों का निवर्हन करना व्यक्ति का सबसे महत्वपूर्ण कर्तव्य है, लेकिन चाणक्य कहते हैं एक सज्जन व्यक्ति अपनी जिम्मेदारियों को पूरा करने के साथ रिश्तों का मोल समझता है और निस्वार्थ भावना से उन्हें एक धागे में बांधे रखने के लिए हर संभव प्रयास करता है। जो हर रिश्ते को ईमानदारी और सच्चे दिल से निभाते हैं, उनमें भेदभाव नहीं रखते ऐसे लोग हर जगह सम्मान पाते हैं।