लवलीना बोर्गोहेन ने टोक्यो ओलंपिक में जब कांस्य पदक जीता था, तब किसी ने सोचा नहीं था कि असम के छोटे से गांव से निकलकर देश का नाम सबसे बड़े खेल समारोह में रोशन करेगी। उस जीत के बाद लवलीना बॉक्सिंग की नई स्टार बन गईं। वह कई लड़कियों के लिए प्रेरणा स्रोत बन गईं। लवलीना का आज (रविवार) 25वां जन्मदिन है। आइए असम के गोलाघाट जिले के बरो मुखिया गांव में पैदा होने वाली इस स्टार खिलाड़ी के बारे में जानते हैं...
लवलीना मुक्केबाजी में आने से पहले किक बॉक्सिंग करती थीं, जिसमें वो राष्ट्रीय स्तर पर पदक भी जीत चुकी हैं। दरअसल, लवलीना ने अपनी बड़ी बहनों लीचा और लीमा को देखकर किक बॉक्सिंग करना शुरू किया था। बचपन में लवलीना को काफी संघर्ष का सामना करना पड़ा।
लवलीना के पिता टिकेन एक छोटे व्यापारी थे और 1300 रुपये महीना कमाते थे। असम से ओलंपिक की राह इतनी आसान नहीं थी। मगर इस मुक्केबाज ने दिखा दिया कि अगर हिम्मत व जुनून के आगे कुछ भी मुश्किल नहीं होता।
एक बार लवलीना के पिता टिकेन मिठाई लाए थे। वह जिस अखबार में मिठाई को लपेट लाए थे उसे लवलीना ने बाद में देखा था। उसमें मशहूर मुक्केबाज मोहम्मद अली के बारे में लिखा था। मोहम्मद अली के बारे में पढ़कर लवलीना के मन में बॉक्सर बनने की तमन्ना जाग उठी।
किक-बॉक्सिंग करने वाले लवलीना का ट्रायल प्राइमरी स्कूल में स्पोर्ट्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया (साई) के लिए हुआ। उन पर कोच पादुम बोरो की नजर पड़ी। यहीं से लवलीना का जीवन बदल गया।