'माइनोरिटी रिपोर्ट' और 'मैट्रिक्स' जैसी हॉलीवुड की फिल्मों के सीन आपको याद हैं? जहां टेक्नोलॉजी के जरिए अभिनेताओं दर्शकों को अचंभित कर दिया था। इनमें से कई तकनीक अब हमारे दैनिक जीवन का इतना हिस्सा हैं। तकनीक जो इन फिल्मों में कल्पना के रूप में दिखाई गई आजकल हमारे जीवन पर हावी है। टाइम्स ऑफ इंडिया के मुताबिक 8 ऐसी साई-फाई टक्नोलॉजी जो रील से निकलकर आज हमारी असली दुनिया में शामिल हो चुकी हैं।
हॉलीवुड फिल्मों की ये 8 कोरी कल्पनाएं अब बन चुकी हैं हकीकत
स्मार्टफोन जो आज हमारे जीवन का अहम हिस्सा बना चुका है, पहली बार 1966 में रिलीज 'स्टार ट्रेक' जैसी फिल्मों के साथ कल्पना के तौर पर दिखाई दिया। फिल्म में हैंडसेट को ट्राईकोडर नाम दिया गया था, जिसमें कई सारे बटन और एक छोटा सा डिस्प्ले था।
हॉलीवुड फिल्मों की ये 8 कोरी कल्पनाएं अब बन चुकी हैं हकीकत
वर्चुअल रियलिटी (वीआर) तकनीक दिग्गजों के लिए आज सबसे बड़े सेगमेंट में से एक है। सैमसंग, एलजी, एचटीसी, फेसबुक और माइक्रोसॉफ्ट - सभी ने अपने पोर्टफोलियो में कुछ वी.आर. की पेशकश की है। वर्चुअल रियलिटी का कॉन्सेप्ट पहली मैट्रिक्स जैसी फिल्मों के साथ सुर्खियों में आया। हालांकि समानांतर दुनिया फिल्मों में दिखाया इस्तेमाल करने का तरीका अलग था, लेकिन कॉन्सेप्ट काफी समान था।
हॉलीवुड फिल्मों की ये 8 कोरी कल्पनाएं अब बन चुकी हैं हकीकत
स्मार्टवॉच जो अब पिछले कुछ वर्षों से हमारे जीवन का हिस्सा है। 1962 में जेट संस एनिमेटेड कार्टून सीरीज में इसने अपनी कल्पना दिखाई थी। इस सीरीज में उड़ाने वाली कारों, इंटरनेट डिवाइस, वर्चुअल असिस्टेंट सहायक और काफी कुछ दिखाया गया था।
हॉलीवुड फिल्मों की ये 8 कोरी कल्पनाएं अब बन चुकी हैं हकीकत
क्या आपको याद है, जब 1968 में आई फिल्म '2001: ए स्पेस ओडिसी' में वीडियो कॉल ने दर्शकों को मंत्र मुग्ध कर दिया था? इसके बाद इस तकनीक को कई अन्य फिल्मों में देखा गया। लेकिन 2003 में स्काइप ने हकीकत का रूप लिया और कॉन्सेप्ट एक वास्तविकता बन गया।