आगरा रेल मंडल में लगभग 56 लाख रुपये की लागत से तैयार किए गए 28 आइसोलेशन कोच 20 माह बाद भी ताले में बंद हैं। पहली लहर में बनकर तैयार हो चुके इन कोचों का इस्तेमाल दूसरी लहर में ऑक्सीजन के अभाव में हुई मौतों के बाद भी नहीं हो सका। इन्हें एक बार स्टेशन पर लाया गया तो नशेड़ियों ने अड्डा बना लिया। इसके बाद इन्हें वापस यार्ड में भेज दिया गया। अमर उजाला की पड़ताल में सामने आया कि अब इन्हें स्टेशन के यार्ड से दूर झांसी एंड खड़ा कर दिया गया। 20 साल से ज्यादा पुराने आठ कोच जर्जर हो चुके हैं। खिड़कियों के टेप उधड़ चुके हैं। धूल की मोटी परतें जमा हो चुकी हैं। बरसात का पानी भी टपक रहा है।
सी एंड डब्ल्यू ने किए थे तैयार
रेलवे के कैरेज एंड वैगन विभाग के कार्मिकों ने मंडल में कोरोना संक्रमण की पहली लहर में मार्च 2020 के बाद आपात स्थितियों के लिए पुरानी ट्रेनों के 28 कोचों को आइसोलेशन कोचों में बदला था। इनमें ऑक्सीजन सिलिंडर, ड्रिप सेट, जरूरी मेडिकल उपकरणों के साथ डस्टबिन भी रखे गए थे। एक कोच में आठ बेड तैयार किए गए थे। नर्सिंग कक्ष भी बनाया गया था।
सी एंड डब्ल्यू ने किए थे तैयार
रेलवे के कैरेज एंड वैगन विभाग के कार्मिकों ने मंडल में कोरोना संक्रमण की पहली लहर में मार्च 2020 के बाद आपात स्थितियों के लिए पुरानी ट्रेनों के 28 कोचों को आइसोलेशन कोचों में बदला था। इनमें ऑक्सीजन सिलिंडर, ड्रिप सेट, जरूरी मेडिकल उपकरणों के साथ डस्टबिन भी रखे गए थे। एक कोच में आठ बेड तैयार किए गए थे। नर्सिंग कक्ष भी बनाया गया था।