बाघंबरी मठ की गद्दी की बागडोर संभालने के बाद नए महंत बलवीर गिरि ने कहा कि वह अपने गुरु नरेंद्र गिरि की मौत का सच हर हाल में सामने लाकर रहेंगे। चादर विधि के बाद पत्रकारों से बातचीत में उन्होंने अपने गुरु के पदचिह्नों पर चलकर बाघंबरी मठ को आगे बढ़ाने की बात कही। बलवीर गिरि अखाड़ा परिषद अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि से डेढ़ दशक से जुड़े रहे हैं। वह मूल रूप से उत्तराखंड के रहने वाले हैं। उन्होंने वर्ष 2005 में घर- परिवार त्यागकर निरंजनी अखाड़े में महंत नरेंद्र गिरि से संन्यास की दीक्षा ली थी।
वर्ष 2005 में बलवीर ने ली थी नरेंद्र गिरि से संन्यास दीक्षा
बलवीर गिरि वर्ष 1998 में पहली बार निरंजनी अखाड़े के संपर्क में आए। महंत नरेंद्र गिरि से उनका संपर्क 2001 में हुआ। उस वक्त नरेंद्र गिरि निरंजनी अखाड़े के कारोबारी महंत थे। उत्तराखंड के निवासी बलवीर वर्ष 2005 में नरेंद्र गिरि से संन्यास दीक्षा लेकर निरंजनी अखाड़े में शामिल हो गए।
वह 2019 से हरिद्वार स्थित बिल्केश्वर महादेव मंदिर की व्यवस्था संभाल रहे थे। महंत नरेंद्र गिरि ने बलबीर गिरि को हरिद्वार आश्रम की जिम्मेदारी दी थी। आनंद गिरि के निष्कासन के बाद बलबीर ही मठ का पूरा कामकाज संभाल रहे थे। किसी भी प्रमुख आयोजन में महंत नरेंद्र गिरि उन्हें अपने साथ रखते थे।
बलवीर गिरि बाघंबरी गद्दी मठ के महंत नियुक्त, निरंजनी अखाड़े ने की ताजपोशी
समाधि पूजा, पुष्पांजलि, दीपदान के बाद देश भर से पहुंचे महामंडलेश्वरों-महंतों के हाथों चादर विधि की रस्म पूरी होने के साथ ही मंगलवार को बलवीर गिरि ने प्रयागराज के बाघंबरी मठ की गद्दी संभाल ली। चादर विधि के बाद पंचायती निरंजनी अखाड़े की ओर से उन्हें महंत नरेंद्र गिरि के उत्तराधिकारी के तौर पर बाघंबरी मठ का महंत नियुक्त किया गया। ताजपोशी के बाद नए महंत बलवीर ने अपने गुरु की समाधि पर शीश नवाया और उनके पदचिह्नों पर चलकर मठ परंपरा को आगे बढ़ाने का संकल्प लिया।
मठ के आगंतुक कक्ष में रहस्यमय परिस्थितियों में मृत पाए जाने के बाद अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि की जगह उनके उत्तराधिकारी के रूप में बलवीर गिरि ने ले ली। दोपहर करीब 12 बजे मठ के विचारानंद संस्कृत वेद विद्यालय परिसर में बने भव्य मंच पर अखाड़ों के प्रतिनिधियों, पीठाधीश्वरों और महामंडलेश्वरों और महंतों ने चादर विधि में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। सबसे पहले शारदा पीठाधीश्वर जगद्गुरु शंकराचार्य राजराजेश्वर आश्रम महाराज की मौजूदगी में निरंजनी अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर कैलाशानंद ने बलवीर को टीका लगाया और महंतई की चादर ओढ़ाई।
इसके बाद अखाड़ा परिषद के महामंत्री और जूना अखाड़े के संरक्षक महंत हरि गिरि, अग्नि अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्लवर बालकानंद गिरि, जूना अखाड़े के महंत प्रेम गिरि, महामंडलेश्वर यतींद्रानंद सरस्वती, महामंडलेश्वर यमुनापुरी समेत राजस्थान, गुजरात, हरियाणा, उत्तराखंड और जम्मू समेत कई राज्यों से आए साधु-संतों, वेद विद्यालय के बटुकों, आचार्यों, सामाजिक, राजनीतिक कार्यकर्ताओं ने भी महंतई चादर ओढ़ाई। करीब घंटे भर चली चादर विधि के बाद फूलमाला से लदे बलवीर अपने गुरु नरेंद्र गिरि की समाधि पर पहुंचे। वहां उन्होंने संक्षिप्त पूजा की और फूलमाला चढ़ाकर नमन किया।