काशी के कोतवाल बाबा कालभैरव पहली बार अपने कोतवाल स्वरूप में नजर आए। खाकी वर्दी पहनाकर बाबा का भव्य शृंगार किया गया। ओमिक्रॉन के खात्मे के लिए बाबा को वर्दी पहनाकर विशेष झांकी सजाई गई। बाबा के दर्शन के लिए श्रद्धालुओं की कतार उमड़ पड़ी। बाबा कालभैरव, हर-हर महादेव की जयकार से कालभैरव दरबार गुंजायमान रहा।
काशी के कोतवाल बाबा कालभैरव का भगवान शिव के रौद्र रूप में पूजन होता है और इन्हें दंडाधिकारी कोतवाल की भी उपाधि मिली हुई है। इसी मान्यता के अनुसार शनिवार को कालभैरव मंदिर के पुजारियों ने कालभैरव का उनके असल स्वरूप कोतवाल की वर्दी में शृंगार किया और गर्भगृह में कोतवाली सजाई गई।
बाबा के आगे एक टेबल, कागज कलम, दंड, बेल रखी हुई थी। बाबा के सिर पर पुलिस की टोपी, कंधे पर तीन सितारा और नेम प्लेट पर भी श्री बाबा काल भैरव जी लिखा था।
काशी के कोतवाल बाबा कालभैरव का भगवान शिव के रौद्र रूप में पूजन होता है और इन्हें दंडाधिकारी कोतवाल की भी उपाधि मिली हुई है। इसी मान्यता के अनुसार शनिवार को कालभैरव मंदिर के पुजारियों ने कालभैरव का उनके असल स्वरूप कोतवाल की वर्दी में शृंगार किया और गर्भगृह में कोतवाली सजाई गई।
बाबा के आगे एक टेबल, कागज कलम, दंड, बेल रखी हुई थी। बाबा के सिर पर पुलिस की टोपी, कंधे पर तीन सितारा और नेम प्लेट पर भी श्री बाबा काल भैरव जी लिखा था।