वर्तमान के रहन-सहन और खानपान से अनियंत्रित ब्लड प्रेशर के मरीजों में वृद्धि हो रही है। ऐसे ही हाई ब्लड प्रेशर के मरीजों को ब्रेन स्ट्रोक और हार्ट अटैक का सबसे ज्यादा खतरा रहता है। ब्लड प्रेशर नियंत्रित रखने और रोजाना हल्का व्यायाम करने करने से ब्रेन स्ट्रोक से बचा जा सकता है।
ब्रेन स्ट्रोक दो तरह का होता है। इसमें पहला प्रकार हीमोरेजिक (ब्रेन हैमरेज) और दूसरा इस्कीमिक स्ट्रोक (खून का थक्का जमना) है। सर्दियों में ब्रेन स्ट्रोक के मामले अन्य ऋतुओं की तुलना में अधिक बढ़ जाते हैं।
हाई ब्लड प्रेशर ब्रेन स्ट्रोक का मुख्य कारण है। ब्लड प्रेशर के ऐसे मरीज जो दवाई नहीं खाते हैं तो उनमें स्ट्रोक होने का खतरा रहता है। ऐसे में यदि मरीज स्ट्रोक की चपेट में आता है तो उसे तुरंत डॉक्टर को दिखाना चाहिए।
इस्कीमिक स्ट्रोक के चार घंटों के भीतर यदि मरीज को उपचार मिले तो उसकी जान बच सकती है। हाई ब्लड प्रेशर के मरीजों की मौत का दूसरा कारण ब्रेन स्ट्रोक है, जबकि पहला कारण हार्ट अटैक है।
ब्रेन स्ट्रोक में 90 फीसदी लोग इस्कीमिक स्ट्रोक की चपेट में आते हैं, जबकि शेष दस फीसदी लोग ब्रेन हैमरेज की चपेट में आते हैं। ब्लड प्रेशर पर नियंत्रण ही लोगों को ब्रेन स्ट्रोक से बचा सकता है।
मेडिकल कॉलेज हमीरपुर के मेडिसन विशेषज्ञ डॉ. भावेश बरवाल का कहना है कि समय रहते यदि इस्कीमिक स्ट्रोक के मरीज को उपचार के लिए लाया जाता है तो उसे बचाया जा सकता है।
ब्रेन हैमरेज में किस हिस्से में खून का रिसाव हुआ है यह मायने रखता है। इसमें व्यक्ति उम्रभर के लिए पैरालाइज्ड भी हो सकता है। उन्होंने लक्षण दिखने पर मरीज को तुरंत अस्पताल लाने की अपील की है।
सिर चकराना, बेहोशी, दौरा पड़ना, शरीर का कोई हिस्सा काम करना बंद करना, बोलने समझने में कमी, हार्ट की बीमारी के लोगों में स्ट्रोक का ज्यादा खतरा रहता है, खून पतला करने की दवाई के सेवन के बाद मॉनीटरिंग न होने से स्ट्रोक हो सकता है।
ये करें
ब्लड प्रेशर नियंत्रित रखें, हल्का व्यायाम करें, भारी चीजें न उठाएं, उचित वजन बनाए रखें, तला खाना न खाएं, संतुलित पौष्टिक आहार लें, हरी सब्जियां, सलाद का सेवन करें, नमक कम खाएं, शारीरिक गतिविधियां करें, लक्षण दिखने पर तुरंत चिकित्सक को दिखाएं।
स्ट्रोक के मरीज आने पर चिकित्सक पहले बीपी कंट्रोल करते हैं। इसके बाद सीटी स्कैन में आने पर इस्कीमिक स्ट्रोक के लिए खून के थक्के पिघलाने के लिए इंजेक्शन दिया जाता है। इसके लिए मरीज का सही टाइम पर अस्पताल पहुंचना अनिवार्य है।
आयुर्वेदिक अस्पताल हमीरपुर के मेडिसन विशेषज्ञ डॉ. रविंद्र कुमार का कहना है कि पक्षाघात यानी ब्रेन स्ट्रोक में रोगी के शरीर का कोई भी भाग कम या अधिक कमजोर पड़ जाता है। इसके अतिरिक्त ज्ञानेद्रिंयों और कर्मोद्रिंयों की शक्ति भी क्षीण पड़ जाती है।
इसमें समीरपन्नग रस 125 एमजी जीभ के नीचे या नास्य (नाक के माध्यम से) की ओर से दिन में चार बार प्रयोग किया जा सकता है। वचा, पुनर्नवा और हरिद्रा द्रव्यों का लेप, घृतपान और बृहण तेल का नास्य प्रयोग पंचकर्मा चिकित्सा भी लाभप्रद है।
वर्तमान के रहन-सहन और खानपान से अनियंत्रित ब्लड प्रेशर के मरीजों में वृद्धि हो रही है। ऐसे ही हाई ब्लड प्रेशर के मरीजों को ब्रेन स्ट्रोक और हार्ट अटैक का सबसे ज्यादा खतरा रहता है। ब्लड प्रेशर नियंत्रित रखने और रोजाना हल्का व्यायाम करने करने से ब्रेन स्ट्रोक से बचा जा सकता है।
ब्रेन स्ट्रोक दो तरह का होता है। इसमें पहला प्रकार हीमोरेजिक (ब्रेन हैमरेज) और दूसरा इस्कीमिक स्ट्रोक (खून का थक्का जमना) है। सर्दियों में ब्रेन स्ट्रोक के मामले अन्य ऋतुओं की तुलना में अधिक बढ़ जाते हैं।
हाई ब्लड प्रेशर ब्रेन स्ट्रोक का मुख्य कारण है। ब्लड प्रेशर के ऐसे मरीज जो दवाई नहीं खाते हैं तो उनमें स्ट्रोक होने का खतरा रहता है। ऐसे में यदि मरीज स्ट्रोक की चपेट में आता है तो उसे तुरंत डॉक्टर को दिखाना चाहिए।