रोशन ठाकुर, अमर उजाला, कुल्लू
Published by: Krishan Singh
Updated Mon, 16 Sep 2019 05:00 AM IST
अंतरराष्ट्रीय कुल्लू दशहरा के लिए पहली बार 331 देवी-देवताओं को निमंत्रण भेजा गया है। दशहरा उत्सव मनाते 368 साल हो गए हैं। देवी-देवताओं को निमंत्रण देने का क्रम साठ के दशक से शुरू हुआ है, लेकिन इस बार 331 देवी-देवताओं को निमंत्रण भेजने का यह एक रिकॉर्ड है।
अगर सभी देवी-देवता दशहरा में आते हैं तो भगवान रघुनाथ की अध्यक्षता में मनाए जाने वाले उत्सव में देवरथों को बिठाया जाएगा। ढालपुर में पहले ही तीन-चार साल से देवी-देवताओं की बढ़ती संख्या के कारण उन्हें बिठाने का मसला हल नहीं हो पाया है।
ऐसे में बड़ा सवाल यह है कि 331 देवी-देवताओं को दशहरा उत्सव समिति कहां बिठाएगी। समिति पहले 292 देवी-देवताओं को बुलाती रही है। फिर इनकी संख्या बढ़ाकर 305 कर दी है। तब से देवी-देवताओं की संख्या बढ़ने लगी है। उन्हें बिठाने के लिए जगह कम पड़ने लगी है।
इस साल अधिक देवी-देवताओं को बुलाने पर देव समाज भी दो धड़ों में बंट गया है। कारदार संघ के महासचिव नारायण चौहान ने कहा कि निमंत्रण प्रशासन देता है। बिठाने की जगह भी प्रशासन ही देगा।
जिला देवी देवता कारदार संघ के पूर्व अध्यक्ष दोत राम ठाकुर ने कहा कि दशहरा में देवी-देवताओं की संख्या बढ़ रही है। पहले से जगह नहीं है और तीन सालों से देवताओं के बिठाने को लेकर विवाद चल रहा है।
प्रदेश में नए देवरथों के निर्माण को लेकर मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर के साथ पूर्व सीएम वीरभद्र सिंह ने भी विरोध किया है। इस बात को हर बार दशहरा उत्सव के मंच से मुख्यमंत्री कहते रहे हैं। दशहरा में नए देवरथों को नहीं लाने की भी जनता से अपील की है, लेकिन इसका कोई भी असर नहीं दिख रहा है।
सर्कुलर रोड बनने से भी घटी जगह
शहर में नए सर्कुलर सड़क के निर्माण से लगभग एक दर्जन देवी-देवताओं की जगह छिन गई है। उन्हें दूसरी जगह पर बिठाना पड़ रहा है। ऐसे में नए देवी-देवताओं को बिठाना एक चुनौती हो गया है।
एक देवता को तीन तंबुओं की जरूरत
दशहरा में आने वाले एक देवी देवताओं को रहने के लिए कम से कम तीन तंबुओं की जरूरत पड़ती है। एक में देवरथ रहता है, दूसरे में बजंतरी और तीसरे में कारकून तथा देवलु शामिल होते हैं।
हाथी लाना है तो दरवाजे ऊंचे करने होंगे। प्रशासन से मांग है कि वह जल्द कारदारों की बैठक बुलाएं। दशहरा में देवताओं को बुलाना अच्छी बात है। उनके ठहरने व रहने की व्यवस्था को लेकर प्रशासन को सोचना होगा। - महेश्वर सिंह, मुख्य छड़ीबरदार भगवान रघुनाथ
अंतरराष्ट्रीय कुल्लू दशहरा के लिए पहली बार 331 देवी-देवताओं को निमंत्रण भेजा गया है। दशहरा उत्सव मनाते 368 साल हो गए हैं। देवी-देवताओं को निमंत्रण देने का क्रम साठ के दशक से शुरू हुआ है, लेकिन इस बार 331 देवी-देवताओं को निमंत्रण भेजने का यह एक रिकॉर्ड है।
अगर सभी देवी-देवता दशहरा में आते हैं तो भगवान रघुनाथ की अध्यक्षता में मनाए जाने वाले उत्सव में देवरथों को बिठाया जाएगा। ढालपुर में पहले ही तीन-चार साल से देवी-देवताओं की बढ़ती संख्या के कारण उन्हें बिठाने का मसला हल नहीं हो पाया है।
ऐसे में बड़ा सवाल यह है कि 331 देवी-देवताओं को दशहरा उत्सव समिति कहां बिठाएगी। समिति पहले 292 देवी-देवताओं को बुलाती रही है। फिर इनकी संख्या बढ़ाकर 305 कर दी है। तब से देवी-देवताओं की संख्या बढ़ने लगी है। उन्हें बिठाने के लिए जगह कम पड़ने लगी है।
इस साल अधिक देवी-देवताओं को बुलाने पर देव समाज भी दो धड़ों में बंट गया है। कारदार संघ के महासचिव नारायण चौहान ने कहा कि निमंत्रण प्रशासन देता है। बिठाने की जगह भी प्रशासन ही देगा।
जिला देवी देवता कारदार संघ के पूर्व अध्यक्ष दोत राम ठाकुर ने कहा कि दशहरा में देवी-देवताओं की संख्या बढ़ रही है। पहले से जगह नहीं है और तीन सालों से देवताओं के बिठाने को लेकर विवाद चल रहा है।