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Ganesh Puja :बुधवार को गणेशजी की पूजा करने से मनोरथ होते हैं पूर्ण, गणेशजी से जुड़ी रोचक बातें
धर्म डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: विनोद शुक्ला
Updated Wed, 30 Nov 2022 10:48 AM IST
सार
शास्त्रों में बुधवार का दिन गणेशजी का माना गया है।विशेष रूप से बुधवार को की गई इनकी उपासना करने से गजानन आप पर प्रसन्न होंगे और आपकी मुराद पूरी करेंगे।
प्रत्येक शुभ कार्य के पूर्व श्रीगणेशाय नमः का उच्चारण कर उनकी स्तुति में यह मंत्र बोला जाता है।
- फोटो : amar ujala
हिंदू धर्म में किसी भी शुभ कार्य का आरम्भ करने से पूर्व गणेशजी की पूजा करना आवश्यक माना गया है, क्योंकि उन्हें विघ्नहर्ता व रिद्धि-सिद्धि का स्वामी कहा जाता है। इनके स्मरण, ध्यान, जप, आराधना से कामनाओं की पूर्ति होती है व विघ्नों का विनाश होता है। गणेश जी ज्ञान और बुद्धि के ऐसे देवता हैं, जिनकी उपासना जीवन को शुभ-लाभ की दिशा देती हैं। वे शीघ्र प्रसन्न होने वाले बुद्धि के अधिष्ठाता और साक्षात प्रणवरूप हैं। गणेश का अर्थ है- गणों का ईश। अर्थात गणों का स्वामी। गणेशजी विद्या के देवता हैं। प्रत्येक शुभ कार्य के पूर्व श्रीगणेशाय नमः का उच्चारण कर उनकी स्तुति में यह मंत्र बोला जाता है।
वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभः।
निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा॥
अर्थात-घुमावदार सूंड वाले, विशाल शरीर काय, करोड़ सूर्य के समान महान प्रतिभाशाली।
मेरे प्रभु, हमेशा मेरे सारे कार्य बिना विघ्न के पूरे करें (करने की कृपा करें)॥
शास्त्रों में बुधवार का दिन गणेशजी का माना गया है।विशेष रूप से बुधवार को की गई इनकी उपासना करने से गजानन आप पर प्रसन्न होंगे और आपकी मुराद पूरी करेंगे। आइए आज बुधवार के दिन गणेशजी से जुड़े कुछ तथ्यों को जानते हैं -
1.सृष्टि के सभी गणों के ईश भगवान श्री गणेश को शास्त्रों ने गजमुख कहा है। गजमुख शब्द में 'गज' का अर्थ आठ होता है।जो आठों दिशाओं की आठों प्रहर रक्षा करता हो,खबर रखता हो वही गजमुख गणेश हैं।
2.योगशास्त्रीय साधना में शरीर में मेरुदंड के मध्य जो सुषम्ना नाड़ी है वह ब्रह्मरंध में प्रवेश करके नाड़ी समूह से मिल जाती है।इसका आरंभ मूलाधार चक्र ही है,इसी मूलाधार चक्र को गणेश स्थान कहते हैं।इसका तात्पर्य है कि श्री गणेश ही योग के आदि देवता हैं।
3.शास्त्रों में कहा गया है कि 'गणानां जीवजातानां य ईशः स गणेशः' अर्थात जो समस्त गणों तथा जीव जाति के स्वामी हैं वही गणेश हैं।ये पंचमहाभूत में जलतत्व के अधिपति होकर हर जीव में रक्तरूप में विद्ध्यमान रहते हैं इसलिए शास्त्रों में इनका रंग लाल भी बताया गया है।
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4. अथर्ववेद के अनुसार प्रकृति गणेशजी से प्रार्दुभूत हुई है। प्रकृति के अधिपति भी श्री गणेश हैं। चूकिं प्रकृति का रंग हरा है इसलिए गणेशजी के शरीर का रंग हरा बताया गया है।हरा रंग शांति,उन्नति और समृद्धि का प्रतीक है,तभी इन्हें अमृत से उत्पन्न दूर्वा जिसका रंग हरा होता है अतिप्रिय है।
5 . गणेश में 'ग' अक्षर ज्ञानार्थवाचक और 'ण' निर्वाणवाचक है।ईश अधिपति है अर्थात ज्ञान-निर्वाण वाचक गण के ईश गणेश ही परमब्रह्म हैं।आध्यात्मिक भाव से इन्द्रियों के स्वामी होने से भी इन्हें गणेश कहा गया है।सबके हृदय की बात समझ लेने वाले ये सर्वज्ञ हैं।
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