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आस्था: हनुमानजी को क्यों चढ़ाया जाता है सिंदूर और चोला? क्या है इसे चढ़ाने के नियम और फायदे
धर्म डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: विनोद शुक्ला
Updated Tue, 29 Nov 2022 04:10 PM IST
सार
मंगलवार को हनुमानजी पर चोला चढ़ाया जाता है तो कुंडली में मंगल दोष का प्रभाव कम होता है,और आरोग्य मिलता है वहीं यदि शनिवार के दिन चढ़ाया जाए तो शनि साढ़ेसाती,ढैया के प्रभाव धीरे धीरे कम हो जाते हैं,जीवन के दुःख मिटते हैं।
हनुमानजी चोला या सिन्दूर चढ़ाने से इतने प्रसन्न क्यों होते हैं।
- फोटो : iStock
मंगलवार का दिन विशेषरूप से बजरंगबली की उपासना के लिए श्रेष्ठ माना जाता है। भगवान शिव के ग्यारहवें अवतार माने जाने वाले श्रीराम भक्त हनुमानजी के दर्शन मात्र से ही जीवन के सभी कष्ट समाप्त हो जाते हैं। मान्यता है कि यदि इनकी किसी पर कृपा हो जाए तो बड़े से बड़ा संकट भी टल जाता है। हनुमान जी की उपासना से सुख, शांति, आरोग्य एवं लाभ की प्राप्ति होती है एवं नकारात्मक शक्तियां भी हनुमानजी के भक्तों को परेशान नहीं करती। हनुमानजी को चोला अत्यंत प्रिय है। यदि मंगलवार को हनुमानजी पर चोला चढ़ाया जाता है तो कुंडली में मंगल दोष का प्रभाव कम होता है और आरोग्य मिलता है वहीं यदि शनिवार के दिन चढ़ाया जाए तो शनि साढ़ेसाती, ढैया के प्रभाव धीरे धीरे कम हो जाते हैं, जीवन के दुःख मिटते हैं। पर क्या आप जानते हैं की आखिर हनुमानजी चोला या सिन्दूर चढ़ाने से इतने प्रसन्न क्यों होते हैं।
ये है रामायण की कथा
कथा के अनुसार त्रेतायुग में एक बार हनुमानजी ने माता सीता को मांग में सिंदूर भरते हुए देखा तो उनसे इसका कारण पूछा। सीताजी ने हनुमानजी से कहा कि ये आपके प्रभु श्री राम की लंबी आयु के लिए है और इससे वे प्रसन्न भी होंगे। ऐसा सुनकर हनुमान जी ने सोचा चुटकी भर सिंदूर से प्रभु श्रीराम इतने प्रसन्न होते हैं तो अगर में अपने पूरे शरीर पर इसे धारण कर लूं तो मेरे प्रभु हमेशा मुझसे प्रसन्न रहेंगे। मन में ये विचार कर उन्होंने सिंदूर को अपने पूरे शरीर पर लगा लिया। जब भगवान राम ने उन्हें देखा तो मुस्कराने लगे और बोले हनुमान ये क्या कर लिया। हनुमान जी बोले प्रभु ये आपकी लंबी आयु के लिए है। उनकी ऐसी भक्ति देख भगवान राम बहुत प्रसन्न हुए और कहा कि आज से जो भी तुम्हें सिंदूर चढ़ाएगा उसके सारे कष्ट दूर होंगे एवं उस भक्त पर सदैव मेरी भी कृपा रहेगी।
चोला चढ़ाने के नियम
इस दिन स्नानादि से निवृत होकर लाल रंग के वस्त्र धारण करें एवं हनुमानजी की प्रतिमा पर गंगाजल से अभिषेक करें। अब एक साफ वस्त्र से प्रतिमा को पोछें। उसके बाद सिंदूर में चमेली का तेल डालकर पहले हनुमान जी के चरणों में अर्पित करें, फिर ऊपर से नीचे की ओर सिंदूर लगाएं। इसके बाद चांदी का बर्क, जनेऊ और धूप दीप आदि जलाकर पूजा करें। इसके बाद बेसन या बूंदी के लड्डू का भोग लगाकर दक्षिणा चढ़ाएं, हनुमान चालीसा का पाठ करें हनुमान जी के चरणों से थोड़ा सा सिंदूर लेकर माथे पर लगा लें,मान्यता है कि इससे तमाम संकट दूर हो जाते हैं।
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