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हाईकोर्ट : बाल कल्याण समिति के चेयरमैन डॉ. अखिलेश मिश्र की बर्खास्तगी पर रोक, कोर्ट ने सरकार से मांगा जवाब
अमर उजाला नेटवर्क, प्रयागराज
Published by: विनोद सिंह
Updated Fri, 09 Dec 2022 10:08 PM IST
सार
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याचिका पर पक्ष रख रहीं अधिवक्ता सुभाष राठी का कहना था कि सचिव का आदेश एकतरफा और नियम विरुद्ध है। आदेश पारित करने में जुवेनाइल जस्टिस एक्ट की धारा 27 (7) के प्रावधानों का पालन नहीं किया गया।
बाल कल्याण समिति प्रयागराज के अध्यक्ष डॉ. अखिलेश मिश्र।
- फोटो : अमर उजाला।
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बाल कल्याण समिति सीडब्ल्यूसी, प्रयागराज के अध्यक्ष डॉ. अखिलेश कुमार मिश्र के बर्खास्तगी आदेश पर रोक लगा दी है। कोर्ट ने इस संबंध में राज्य सरकार से तीन सप्ताह में जवाब तलब किया है। डॉ. मिश्र को सचिव महिला एवं बाल कल्याण के एक नवंबर 2022 के आदेश से पद से बर्खास्त कर दिया गया था। इस आदेश को हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर चुनौती दी गई है। याचिका पर न्यायमूर्ति सिद्धार्थ वर्मा और न्यायमूर्ति अजीत सिंह की खंडपीठ ने सुनवाई की।
याचिका पर पक्ष रख रहीं अधिवक्ता सुभाष राठी का कहना था कि सचिव का आदेश एकतरफा और नियम विरुद्ध है। आदेश पारित करने में जुवेनाइल जस्टिस एक्ट की धारा 27 (7) के प्रावधानों का पालन नहीं किया गया। उनका यह भी कहना था कि सिर्फ जिलाधिकारी द्वारा गठित दो सदस्यीय जांच समिति की रिपोर्ट को आधार बनाकर एक तरफ कार्रवाई की गई है। यहां तक कि याची द्वारा दिए गए स्पष्टीकरण पर भी विचार नहीं किया गया।
जांच समिति द्वारा की गई जांच की रिपोर्ट भी याची को अब तक नहीं दी गई है। कोर्ट ने याची के अधिवक्ता की दलीलों में प्रथम दृष्टया बल पाते हुए एक नवंबर 2022 के बर्खास्तगी आदेश पर रोक लगा दी है। साथ ही प्रदेश सरकार को तीन सप्ताह में इस मामले में जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है। मामले में बाल कल्याण समिति ने जगवंती देवी बाल गृह राजरूपपुर में एक बालक के यौन शोषण की रिपोर्ट जिला अधिकारी और जिला प्रोबेशन अधिकारी को भेजी थी। इस संबंध में स्थानीय समाचार पत्रों में भी बालक के यौन शोषण की खबर प्रकाशित हुई। जिसे आधार बनाकर जिलाधिकारी ने दो सदस्य जांच कमेटी गठित की।
जांच कमेटी की रिपोर्ट में बाल कल्याण समिति की शिकायतों के गलत होने का दावा किया गया साथ ही अध्यक्ष बाल कल्याण समिति को यह जानकारी मीडिया में लीक करने का दोषी ठहराया गया। इस रिपोर्ट पर संज्ञान लेते हुए सचिव महिला एवं बाल कल्याण ने अध्यक्ष अखिलेश मिश्र से स्पष्टीकरण मांगा था ।
अध्यक्ष ने अपने स्पष्टीकरण में कहा कि समिति ने पीड़ित बालक व उसकी मां का बयान रिकॉर्ड करने के बाद अपनी रिपोर्ट जिलाधिकारी को प्रेषित की थी। जबकि, जिलाधिकारी द्वारा गठित समिति ने बिना पीड़ित बालक और उसकी मां का बयान लिए ही बाल कल्याण समिति को की रिपोर्ट को झुठला दिया। याचिका में यह भी कहा गया है कि बाल कल्याण समिति द्वारा सभी निरीक्षण की रिपोर्ट समयबद्ध तरीके से संबंधित अधिकारियों को प्रेषित की जाती है। इसलिए अध्यक्ष पर कार्य में लापरवाही बरतने का आरोप निराधार है। मामले की अगली सुनवाई नौ जनवरी 2023 को होगी।
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